ताजमहल

बिमल तिवारी ‘आत्मबोध’देवरिया(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ना शाहजहां की चाह महल है,ये ना कोई दरगाह पहल हैछूकर देखो इसके पत्थर को,इसमें जिंदा मुमताज़ महल है। चाहत की…

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कर्तव्य निभाता है डट कर

बिमल तिवारी 'आत्मबोध'देवरिया(उत्तरप्रदेश)*************************** सीमाओं पर डटें,जो देश की रखवाली करतें हैं,बिना स्वार्थ हित लाभ के जो पहरेदारी करतें हैं।सर्दी शीत धूप ताप से लड़ते जो प्रतिक्षण हैं-उनकें त्याग वीरता की…

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हम तुम

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तुम्हारी हथेलियों में मेरा हाथ होता है,सुनहरी रात और दिन रुपहला होता है। जाने क्या-क्या एहसास,कैसा आभास होता है,आँखों में भर आते सपने,चैन तो कहीं जा सोता है।…

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अधूरे रिश्ते

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से.. घूँट में पिलाता रहा हम पीते रहे,पूरे दिल से अधूरे रिश्ते को जीते रहे! वहाँ कोई गम न यहाँ कोई आँसू,दस्तूर से…

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वृक्ष लगाओ

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* कानन मंगल आनन भावन,अतिशय अन्याय कर न मानवकाट जला कर सारे जंगल,बूझ-अबुझ तू मत बन दानवl जीव-जंतु की शरणस्थली,पलते उड़ते तैरते चलतेजाए कहाँ,जब घर उजड़ेगा,वो दिल से रोते-बिलखतेl…

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तुम्हारा क्या नाम लिख दूं ?

अनिरुद्ध तिवारीधनबाद (झारखंड) *********************************** काव्य संग्रह हम और तुम से... मेरी ग़ज़लों में,तुम्हारा,क्या नाम लिख दूं ?पहर कौन-सा है ? सुबह लिखूं या शाम लिख दूं ?कुछ बातें अधूरी,रह गई तख्त पर,जो…

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पागलपन

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* खिलखिलाता बेतहाशा उछाल आसमाँ,अँजुरी में भरकर सारे समंदर कोछींटे बालों गिरती बूंदों झटक,लगाए कहकहे ब-होश खड़ाl मकड़ी जालों को लगा चाँद से सूरज तक,दौड़ते सर्द गर्म के एहसास…

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तन्हाईयों से प्यार

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)******************************************************* तन्हाईयों से प्यार हो गया,तन्हाईयों से प्यार हो गयाकुछ यूँ हुई जिन्दगी,जीना दुश्वार हो गयाlहर शाम उनकी याद साथ रहती,हर सुबह उनकी बात याद रहतीकभी चाय में…

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बेघर

डॉ.हेमलता तिवारीभोपाल(मध्य प्रदेश)********************************************************** चलो अच्छा हुआ,परदेश की भी दुनिया देख लीकुछ घर देख लिए,कुछ सड़कें देख लींl रिश्ते निभाते-निभाते,कुछ मुस्कान खरीद लीबाहर से भरे-पूरे रहे,भीतर की तन्हाई देख लीl दो…

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मजदूर की व्यथा

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई, भूखे प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई। नंगे सूजे पैर जल रहे, बिना रुके दिन रात…

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