साहब,मजदूर की चिन्ता कीजिए

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** श्रमिक हमारे समाज की एक ऐसी मजबूत रीढ़ है, जिस पर समस्त आर्थिक उन्नति टिकी होती है जो मानवीय श्रम का सबसे आदर्श उदाहरण है।…

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धन्य तुम हो हे जन

दिप्तेश तिवारी दिप रेवा (मध्यप्रदेश) **************************************************** धन्य तुम हो भारतवासी,माटी सदा ऋणी रहेगी, संघर्ष समय में सहयोग तुम्हारा,सदा गुणी रहेगी। घर में रह कर तुमने,निज कर्तव्यों का मान रखा, धन्यवाद तुम…

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तीन आयाम

डॉ.हेमलता तिवारी भोपाल(मध्य प्रदेश) ********************************************************** एक- एक जमाना था एक दीवाना था, राह में कहीं से दिख जाए किसी सूरत में वो मिल जायेl आँखों से उसे चूम लूँ दिल…

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अनुत्तरित लहरें

डॉ.हेमलता तिवारी भोपाल(मध्य प्रदेश) ********************************************************** अनु तेजी से सोचती जा रही थी। माथे पर पड़ी शिकन साफ बता रही थी कि समस्या बहुत उलझी हुई है। अचानक खीज उठी..ये बस…

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सम्मान-पत्र मिला डाॅ. हेमलता तिवारी को

भोपाल(मध्यप्रदेश)l रचनाकार डाॅ. हेमलता तिवारी को विश्व मैत्री मंच की छत्तीसगढ़ इकाई (रायपुर) द्वारा सम्मानित किया गया हैl आपको राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन में १६ फरवरी २०२० को अपनी लघुकथा प्रस्तुत…

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मैं प्यास की नदी

डॉ.हेमलता तिवारी भोपाल(मध्य प्रदेश) ********************************************************** अविजित मैं पर्वतों-सी, चढ़ी नदी उफनती बाँध जो गया मुझे, वो तार था एक प्यार काl सपन खिले-खिले लगे, उमंग मचल-मचल उठी तुम्हारी हर नयी…

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ऐरों-गैरों को अपनाना पड़ता है

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:वज़्न-२२२२ २२२२ २२२२ २२२) ग़र्ज़ पड़े तो किसको क्या कुछ यार बनाना पड़ता है। खुदग़र्ज़ी में ऐरों-गैरों को अपनाना पड़ता है। नाकारों को साहब कहना…

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शहादत को रखेंगे याद

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचना शिल्प:बह्र/अर्कान-१२२२×४-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन-मफाईलुन) शहीदों की चिताओं में लगें मेले मुनासिब है। शहादत को रखेंगे याद मुमकिन यार वाज़िब है। रखें महफूज़ सरहद को यकीनन जान से…

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जंजीर

डॉ.हेमलता तिवारी भोपाल(मध्य प्रदेश) ********************************************************** तुम नहीं मैं.... तुम नहीं,मैं इस कालजयी कृति सोफे पर बैठी हूँ, कुछ इस तरह जैसे- खुले ढक्कन के बॉक्स में बैठी बाहर झाँक रही…

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हम बड़े ना तुम,बड़ा रब

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:वज़्न-२१२२,२१२२,२१२२,२ अर्कान-फाइलातुन×3-फा.) हम बड़े ना तुम,बड़ा रब,ख़ानदानी है। डींग मारें हम भले वो आसमानी है। मौत आती सामने जब,बच न पायें तब, ज़िन्दगी अपनी कहें,दो…

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