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पर्यावरण के लिए काम करना शानदार मिसाल

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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भुवनेश्वर यात्रा………….

भुवनेश्वर यात्रा के दौरान एक पूरा दिन इंफोसिस के नाम रहाl चमचमाती सड़क और करीने से सजे हरे-भरे पेड़ों के बीच पानी के जहाज की आकृति का शानदार भवन, भव्य प्रवेश द्वार,खूबसूरत स्वीमिंग पुल,इंडोर स्टेडियम,फूड कोर्ट और लाइब्रेरी…सब-कुछ सुंदर और व्यवस्थित…l देश की यह अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनी जहां अपनी भव्य अधोसरंचना और विश्वस्तरीय तकनीकी सेवाओं के लिए जानी जाती है,वहीं पर्यावरण संरक्षण के इसके मौलिक सिद्धांत भी बेहद प्रभावित करते हैं। देश में तकनीकी विकास जितना जरूरी है,पर्यावरण के बारे में चिंता किया जाना भी उतना ही जरूरी है। इंफोसिस के केन्द्र देश में तकनीकी विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण हैं। इस मामले में वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों की चिंता करते हुए इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने पर्यावरण संरक्षण को इंफोसिस के मूल उद्देश्य के साथ जोड़ा। आगे पूरे देश में जहां भी इसके केन्द्र स्थापित हुए, पर्यावरण को ध्यान में रखा गया और इसके लिए हर संभव उपाय किए गए। मंगलुरु परिसर भी एक सुंदर उदाहरण है,जहां `रेन वॉटर हार्वेस्टिंग` के जरिए बारिश का पानी इकट्ठा कर आसपास के ३६० एकड़ में फैले विशाल परिसर की बंजर जमीन को एक हरे-भरे जंगल में बदल दिया गया है। कम्पनी ने बस पेड़ लगाए और प्रकृति को अपना काम करने के लिए छोड़ दिया,जिसका नतीजा वहां हरे-भरे जंगल के रूप में देखा जा सकता है। यह वाकई एक शानदार मिसाल है,जिससे हम सबको सीख लेनी चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि हम सिर्फ पर्यावरण समस्या पर अफसोस न जताएं,बल्कि इसके लिए कुछ काम करें…, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। श्री नारायणमूर्ति की पत्नी श्रीमती सुधा मूर्ति भी अभियंता होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता,संवेदनशील शिक्षक,कुशल लेखिका एवं पद्मश्री से सम्मानित हैं। इंफोसिस फाउंडेशन का परमार्थ मद संभालती हैं और उनकी पूरी कोशिश होती है कि राशि का सही जगह पर इस्तेमाल हो,जरूरतमंद को मिले। हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में सुधा मूर्ति आई थीं। उनके कार्य इस पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक हैं। पिछले वर्ष मई में मैसूर यात्रा के दौरान वहां के इंफोसिस परिसर में कुछ दिन रुकने और उसकी कार्य संस्कृति को जानने समझने का मौका मिला था। (प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की…)

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