तलाश में…

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** निकला हूँ कब से तलाश में,हर कोई कहता है मुझेतू ढूँढने निकला है जिसे,वह तो चराचर सृष्टि में है। हर वह जगह देखता हूँ,उसके होने का एहसासमुझे मन…

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ईश्वर की अब कर बन्दगी

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** किस पर इतना गुमान करे,कुछ भी नहीं जगत में तेराजिसको समझ रहा है अपना,वही दौलत पर लगा रहा फेरा। सुंदर काया भी तेरी नहीं,नहीं तेरा घर और…

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कानों में जो मधुरस घोले

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** उछल कूद करता है जमकर।जिसे देखती हूँ मैं मन भर॥चोरी से आता है अंदर।क्या सखि साजन ? ना सखि बंदर॥ नमन करूँ मैं जिसे प्यार…

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सरहदी बाशिंदे

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** माँएं रोती खून के आँसू,बाप बेचारे बिलखते हैंजब नन्हें-नन्हें बच्चे उनके,मस्तक पर गोली खाते हैं। घरों के उड़ते तब परखच्चे से उनके,जब पाकिस्तानी बेवजह गोली चलाते…

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बचपन से पचपन

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* आ लौट के आजा हमारे खोए हुए सुनहरे बचपन,दिल तुझे पुकार रहा है तुम्हारा ही अपना रूप पचपन। 'पचपन से बचपन तक के' मधुर ख्वाबों में…

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रखिए सदा अच्छे ढंग

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* जीवन के रखने अगर, अच्छे सारे रंग।क़दम-क़दम रखिए सदा, अच्छे अपने ढंग॥ कितना भी अच्छा करो, कहता कुछ संसार।सच्ची बातें ही गहो, छोड़ भगो…

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हिंदी की बढ़ती शान

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** हिंदी पर किरणें पड़ी, जैसे लगती भोर।उपासकों को अब लगे, स्वागत करतें शोर॥ बढ़ती हिंदी शान से, होती चारों-और।अँग्रेजी बेबस बनी, आज मिला ना ठौर॥ सुंदर अक्षर…

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वक्त ठहरा कब है

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** वक्त ठहरा कब है बता मानव,जीवन मूक खड़ा रह जाता हैअबाधित दुरूह विघ्न से ऊपर,वायुगति कालचक्र बढ़ जाता है। शाश्वत प्रमाण काल ब्रह्माण्ड जग,महाकाल…

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सुन लो मेरी करुण पुकार…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** विरह वेदना बढ़ रही है,कैसे दिल अब धीर धरेकिसको मर्म का दर्द सुनाऊं,जो कोई मेरी पीर हरे। सूने-सूने नयन मेरे अब,सूख गए है अंसुवन मोतीकाँटों की सी…

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निर्मल बाल मन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बाल दिवस विशेष... कोमल है बाल तननिर्मल है बाल मनजैसे होय स्वच्छ जलप्रेम से बुलाइए॥ छल झूठ से हैं दूरऊर्जा शक्ति भरपूरसत्य सदा बोलते हैंउन्हें न…

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