नहीं यह देश है उसका

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** आंदोलन के नाम पे क्या,तुम सारा देश जला दोगे ? घुसपैठियों की ख़ातिर क्या,घर की नींव हिला दोगे ? शासन से मतभेद अगर है,आसन…

0 Comments

तनाव को कम करने के प्रयास भी सुधार की राह

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* चिकित्सक की गलतियों को रोगी भोगते हैं। पिता की गलतियों को बच्चे भोगते हैं। उसी प्रकार बच्चों की गलतियों का दण्ड माँ-बाप…

0 Comments

भ्रष्टाचारी की मृत्यु

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* वह शराब पीकर बीच सड़क में गिरा हुआ था। राहगीर उसे घृणा की दृष्टि से देख कर आगे बढ़ रहे थे। उसकी…

0 Comments

अधिकारी `स्वामी` ना होकर मात्र `सेवक`

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* गणतंत्र दिवस हमारा सबसे बड़ा राष्ट्रीय त्यौहार है,जिसके लिए हमारे वीर क्रांतिकारी बलिदानियों ने सर्वस्व त्याग कर दिया था और अपने प्रधान,अपने…

0 Comments

सुरक्षा-शान्ति-समृद्धि के लिए युद्ध आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जी हाँ,समृद्धि शान्ति से ही सम्भव है और शान्ति के लिए युद्ध आवश्यक है,जिसका इतिहास ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ भी साक्षी…

0 Comments

मन बंजारा…

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** मन बंजारा तन बंजारा,ये जीवन बंजारा है, चार दिनों की ज़िन्दगी,बस इतना गुजारा है। ये मन भी कहाँ इक पल,चैन से सोता है, ख़्वाब…

0 Comments

कल्पना तक नहीं की

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… प्रत्येक प्रयास करने के बावजूद नींद नहीं आ रही थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान…

0 Comments

यौवन छल गया

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जिन्दगी दूर जा रही है। मौत करीब आ रही है। खून हो चुका है पानी, एवं मूर्छा छा रही है। आत्मशक्ति बची…

0 Comments

निःशब्द हूँ `दिशा`

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** निःशब्द हूँ `दिशा` क्या कहूँ ? यह भारत है जहाँ आतंकवादियों को भी, बचाने को वकील खड़ा हो जाता है फिर तो तुम्हारे गुनहगार…

0 Comments

भारत की पहचान है हिंदी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जान,मान एवं शान है हिंदी। भारत की पहचान है हिंदी। अन्य भाषाऐं भी अच्छी हैं, पर उत्तम मिष्ठान है हिंदी। अति सरल…

0 Comments