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इच्छा किसान की

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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नहीं है इच्छा मैं अमीरों में गिना जाऊँ,
नहीं है आशा मैं दुनिया की सैर पाऊँ।
नहीं है इरादा मैं बैठा हुआ आराम करूँ,
नहीं है कामना कि स्वर्ग पा हर्षाऊँ।

नहीं भाता मैं गर्मियों में ए.सी. लगाऊँ,
नहीं चाह कि मैं सर्दियों में हीटर लाऊँ।
नहीं इच्छा कि मैं मलाई और खीर खाऊँ,
नहीं इच्छा कि मैं सबसे वीर कहलाऊँ।

बस मुझे एक ही इच्छा भगवान से,
मौसम अच्छा बना दे गेहूँ और धान के।
बस मुझे एक ही आशा सरकार से,
साधन पर्याप्त जुटा दें सब किसान के।

मुझे एक ही इच्छा है भगवान,
जाति धर्म स्थान पे न बंटे ईमान।
मेरी भावनाओं का ना हो अनादर,
खुशहाल हो पूरा मनुष्य बिरादर।

बस मुझे एक ही इच्छा भगवान से,
मेरे फसलों को मिले पानी ईमान से।
मुझे बस एक ही इच्छा है इंसान से,
मुझे भी सम्मान मिले इस जहान से…
मुझे भी सम्मान मिले इस जहान से॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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