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नींद को अँखियों में उतरने दे

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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तेरे पास होने,
न होने से क्या
फर्क पड़ता है
नींद, चैन, ख़्वाब,
सब नर्क-सा लगता है
जीवन बेहाल प्रतीत होता है।

नींद का रिश्ता,
कितना गहरा है
तुम्हारे आने से,
मीठी लगती है
और चले जाने से,
फुर्र से कहाँ उड़ जाती है।

नींद के साथ,
सपनों का रिश्ता भी
अजीब सपना है,
नींद आए तो ख़्वाब आए
ख़्वाब आए तो तुम आए,
पर तुम्हारी याद में
न नींद आए, न ख़्वाब आए।

चाँद भी गुमसुम है,
नींद की लुका-छिपी देखकर
चाँदनी कह रही,
पलकों को बंद रहने दो
निंदिया को बसने दो,
निढाल हो रहे चक्षुओं में।

पुरवइया जब हिलोरे दे,
मीठे गीतों के हिंडोलों से
सुकून के वो गहरे लम्हें दे,
नींद को अँखियों में उतरने दे।
यादों को यूँ ही ठहरने दे,
तेरे साथ फिर वो ग़ज़ल गुनगुनाने दे॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।