बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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पैसा ईश्वर तो नहीं,नहीं ईश से न्यून।
जग में पैसा बोलता,रिश्ते सनते खूनll
ईश्वर भी है वो बड़ा,जिस पर चढ़े करोड़।
जग में पैसा बोलता,रिश्ते पीछे छोड़ll
पैसे से पद बिक रहे,पैसे से सम्मान।
जग में पैसा बोलता,बिकते हैं ईमानll
वैवाहिक रिश्ते बिकें,कहते नाम दहेज़।
जग में पैसा बोलता,धन से सेज सहेजll
बिन पैसे विद्वान कवि,फाँक रहे हैं धूल।
जग में पैसा बोलता,पैसा मूल समूलll
बड़े संत कहते जिन्हें,सच वे धनी कुबेर।
जग में पैसा बोलता,भक्त टके में सेरll
जीते धनी चुनाव में,निर्धन की हो हार।
जग में पैसा बोलता,धन का है व्यवहारll
सत्ता सेना भी बिके,पढ़ देखो इतिहास।
जग में पैसा बोलता,जनता भोगे त्रासll
मंदिर-मस्जिद हो रहे,धन से ही मशहूर।
जग में पैसा बोलता,मन भक्ति से दूरll
पावन रिश्ते तुल रहे,धन की तुला हुजूर।
जग में पैसा बोलता,तन का गया गरूरll
अभिनेता-अफसर रखें,धन को मान रखैल।
जग में पैसा बोलता,नहीं हाथ का मैलll
शर्मा बाबू लाल
अब,छोड़ सभी जंजाल।
जग में पैसा बोलता,अपनी रकम सँभालll
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl