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बाटला हाउस:मुठभेड़ को जीवन्त करती फ़िल्म

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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निर्देशक-निखिल आडवाणी की इस फिल्म में कलाकार-जान अब्राहम,मृनाल ठाकुर,रवि किशन,नोरा फतेही, क्रांति झा,राजेश शर्मा, कादिर अमिन हैं। १४६ मिनट की इस फ़िल्म के अंत में एक घोषणा कि-“फ़िल्म बनाने वाले न तो पोलिस के हक में हैं,और न ही मुजाहिदीन के हक में। हम निष्पक्ष अपना मत रख रहे हैं।” यह बात खलती है। या इसे ऐसे समझा जाए कि,फ़िल्म निर्माण करने वाले इस घटना के दोनों पक्ष के न तो साथ में थे,न विरोध में हैं। यानि न तो नकली या फर्जी मानने वालों के साथ हैं,और न ही असली मानने वालों के साथ है,तो असली घटना पर एक काल्पनिक जबकि उन लड़कों के आतंकी होने के सबूत अदालत में मिले थे,फिर भी अपना पक्ष रखने का क्या औचित्य ???


अब फ़िल्म पर चर्चा तो कहानी यह है कि १३ सितम्बर २००८ में दिल्ली में हुए बम धमाकों की जाँच के लिए दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के २ अफसर के.के.(रवि किशन) औऱ संजीव कुमार यादव(जान एब्राहम) जामिया नगर के बाटला हाउस की एल-१८ की तीसरी मंजिल पर पहुँचते हैं,जहां उनकी मुठभेड़ आतंकी इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्धों से हो जाती है। इसमें एक पोलिस अधिकारी उनकी गोली का शिकार हो जाता है,जिनकी ८ घण्टे बाद शहादत हो जाती है। इसमें २ संदिग्धों की मौत हो जाती है,एवं एक फरार होने में कामयाब हो जाता है।
इस एनकाउन्टर(मुठभेड़) के बाद देश भर में राजनीति गर्मा जाती है,आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है।
विभिन्न राजनीतिक दल और मानव अधिकार संगठन संजीव कुमार पर बेकसूर छात्रों को मारने का आरोप लगाते हैं। संजीव कुमार को न केवल बाहर की राजनीति,वरन अपने ही महकमे की राजनीति का भी शिकार होना पड़ता है। इससे संजीव कुमार एक मानसिक बीमारी की चपेट में आ जाते हैं,जिसमें उसकी पत्नी नन्दिता कुमार (मृनाल ठाकुर) साथ देती है। अब क्या यह पोलिस का जांबाज़ और सम्मानित पुलिसकर्मी खुद को और अपनी टीम को निर्दोष साबित कर पाता है-जानने के लिए फ़िल्म देखनी पड़ेगी।
अदाकारी पर बात की जाए तो जॉन का अभिनय दिन-ब-दिन निखर रहा है। वह पोलिस के किरदार को जीवंत बना देते हैं। उन्होंने किरदार की बेबसी,लाचारी,जाबांजी, मानसिक द्वंद बड़ी ही कुशलता के साथ पेश किया है। रवि किशन का किरदार छोटा था,पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है,उसे बड़ा किया जा सकता था। मृनाल ठाकुर एक समाचार वक्ता और पत्नी के किरदार में जीवन्त और यथार्थवादी सिनेमा की कलाकार लगी है। वकील प्रतिपक्ष की भूमिका में राजेश शर्मा बखूबी लगे हैं,वह प्रशिक्षित अभिनेता होने का पुख्ता सबूत अपने अभिनय माध्यम से देते हैं।
नोरा फतेही ‘साकी’ आइटम सॉन्ग में खूब जमी है। आलोक पांडे,सहिदुर रहमान,क्रांति झा ने भी अपने-अपने किरदारों से न्याय किया है।
एक सवाल फ़िल्म पर कि,निर्देशक निखिल ने न तो पोलिस का महिमा मंडन किया है,न ही आतंकियों का समर्थन जबकि न्यायालय उन लड़कों को आतंकी मान चुका था,तब तो निखिल एक तरफ जा सकते थे,यह बात खलती है।
फ़िल्म में पात्र और घटनाओं को बदला जाना भी खलता है। फ़िल्म के एक दृश्य में ‘बाटला हाउस’ के लोग पोलिस से नाराज़ नज़र आते हैं,यह दृश्य बनावटी और नकली लगता है।
फ़िल्म में अदालत का परीक्षण(ट्रायल) सच को सामने लाने में कामयाब होता लगा है,कुछ संवाद तालियाँ भी निकला देते है।
फ़िल्म की शूटिंग दिल्ली,मुम्बई,मसूरी, नैनीताल और लखनऊ में की है। फ़िल्म देशभक्ति का जज्बा जगाने में कामयाब लगी है। शुरूआत में क्रेडिट्स बिना कोई संगीत के और बिना कोई बेकग्राउंड के फ़िल्म को शूट करते हैं ‘ए वेडनेसडे’ की तरह। फ़िल्म यूँ तो सच्ची घटना पर आधारित है,परंतु फ़िल्म पर काल्पनिक का ठप्पा लगाकर किसी भी विवाद से बचने की सफल कोशिश की गई है। इस फिल्म को ३ सितारे(स्टार)दिए जाएंगे।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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