मौसम बदलेगा

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** मत हो तू मायूस परिंदे,मौसम बदलेगा,होगा फिर आबाद चमन,ये,फिर से महकेगा। वक़्त जो रूठा,साथ जो छूटा अपनों का,बेज़ार न हो,आएगी फिर सहर,ये आँगन फिर…

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कर्म सदा करते रहो

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************************** कर्म बनाये भाग्य को,कर्म सभी का मूल।दोष भाग्य को देत हैं,यही मनुज की भूल॥ भाग्य भरोसे बैठकर,कभी न सोचो व्यर्थ।कर्म सदा करते रहो,यह जीवन का अर्थ॥…

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देश की दिनचर्या के नियोजन की जरूरत

ललित गर्गदिल्ली ****************************************************** राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली बार ऐसा सर्वे करवाया है जिससे पता चलता है कि देशवासी रोज के २४ घंटों में से कितना समय किन कार्यों में…

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विचारों के बिना जीवन सम्भव नहीं

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* बिना विचारों के जीवन तो सम्भव है। सम्भवतः जानवर भी अपना जीवन यापन करते हैं,जबकि जानवरों को विचार नहीं आते,परंतु मानव जीवन विचारों…

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राम जी-केवट प्रसंग

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************************** राज पाट महल सभी त्यागा,मानी पिता बनवास आज्ञासंग सीता व लक्ष्मण भ्राता,अदभुत यही राम की गाथा।विचरे जंगल तीनों संगा,आए वाराणसी तट गँगाकैसे पार होई किनारा,दिखा केवट…

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आई दिवाली

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ घर-बाहर है साफ-सफाई,करते हैं सब लोग।हर्ष भरा उत्साह सभी में,करें सभी मनमोद॥ बम-पटाखे-फुलझड़ियों से,जगमग चारों ओर।दीप-दीप मालाओं से हर-घर है भावविभोर॥ जगमग लड़ियों से घर-आँगन,रात अंधेरी…

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समय निकलता जाए

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** क्या तुझको देंगे यह संबल ?नयन कोर से अश्रु झर-झरजीवन डोर नहीं है लंबी,समय निकलता जाए सर-सर। सबकी अपनी-अपनी उलझन,सबके अपने-अपने द्वंदलक्ष्य से जूझ रहा है कोई,जी…

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नया उजास

सुरेश चन्द्र सर्वहाराकोटा(राजस्थान)************************************************** आज समय भी बदल रहा हैपकड़ तेज रफ्तार,नहीं रहा अब आपस में भीपहले जैसा प्यार। खत्म हो गया भाईचाराफैल रहा है द्वेष,करुणा और दया के भी अबभाव…

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लोकतंत्र की चुनावी दीवाली

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ***************************************************** लोकतंत्र में मतदाता ही चुनाव में दीपावली मनाते हैं। मतदाता ही लोकतंत्र के दीए जलाते हैं और मतदाता ही बुझाते भी हैं। जिस दल या नेता…

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सब नश्वर,चरित्र कमाएं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** जिनसे भी जन्म लिया,उसका अंत भी निश्चित है। मनुष्य मन के कारण ही मानव कहलाता है। जबसे मानव का प्रादुर्भाव हुआ,उसमें पाप यानी हिंसा,झूठ चोरी,कुशील और परिग्रह के…

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