मित्र मेरा

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* 'मित्र',मित्र सब कहेंमित्रता का मर्म,जाने नहीं कोयमित्र,मित्र को दिल सेपरख लो ना,शत्रुता नहीं होय। 'मित्र',दिल दुखा केशुभकामना देना,यह उचित नहीं है'मित्र'मित्रता करना,पर निभा लेनाऔर खुश रखना।…

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वतन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:३२ वर्णों के ४ समतुकांत चरण, १६-१६ वर्णों पर यति अनिवार्य, जबकि ८, ८, ८, ८ पर यति उत्तम। संयोजन-२ २ २ २, ३, ३ वतन…

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देश हमारा प्यारा

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* देश हमारा भारत प्यारा,सब देशों से न्यारा है। कल-कल बहती नदियाँ हैं,पर्वत ऊंचे विशाल पहाड़ हैं। भाषा अनेक, बोली अनेक,धर्म मजहब सब प्यारा है।…

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रोटी और चाँद

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** रोटी ने चाँद से कहा-तू आसमान का चाँद है,तो मैं इस धरती का,तू अपनी चाँदनी भूमंडल परफैलाता है,तो मैं अपनी चमकउन क्षुधार्थ प्राणी केनैनों में फैलाती हूँ।तेरी…

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मीरा-श्याम दीवानी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* थी दीवानी श्याम की, मीरा जिसका नाम।जो युग-युग को बन गई, हियकर अरु अभिराम॥ पिया हलाहल,पर अमर, पाया इक वरदान।श्रद्धा से तो मिल गई, जीवन को…

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विविधता में एकता के साधन

एस.अनंतकृष्णनचेन्नई (तमिलनाडु)******************************* विद्वान विविध,विचार विविधपंथ विविध,एकता शांति प्रेमश्रद्धा भी विविध। चींटियों की कतार,कौओं की एकतामक्खियों का भिनभिनाना,मधुमक्खियों की एकतारानी मक्खियों के पीछे चलना। भेड़ियों का साथ चलना,सिंह का एकांत गंभीरफलों…

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नसीब मेरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-हुआ, नुमा, सजा, कहा, भला, रहा, लगा, बुरा इत्यादि। रदीफ़-था नसीब मेरा... हसीन दिलकश मुहब्बतें थीं, मिटा हुआ था नसीब मेरा।यकीन होता अगर खुदी पर,…

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आजादी का पर्व मनाएं

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** आओ हम सब मिल, आजादी का पर्व मनाएं,स्वतंत्रता का परचम लहराएं। पंद्रह अगस्त के पावन पर्व पर, भाई-चारा और प्रेम बढ़ाएं,आओ हम सब मिल, आजादी का…

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जी चाहता है

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जी चाहता है दूर कहीं चलीं जाऊं मैं,जी चाहता है पंख लगा आसमान में उड़ जाऊं मैंकभी न कभी मेरे सपनों को पंख लगेंगे,कभी न कभी…

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आ भी जाओ श्याम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तुम बिन रहा न जाय अब, आ भी जाओ श्याम।तरस रही मुरली श्रवण, मैं राधे प्रिय वाम॥ तुम बिन सब सूना समझ, हे गिरिधर…

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