शौर्यवीर आज़ाद चमकता भाल
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अति साहस धीरज था, भुजबल भारत माँ का लाल,इतराती आजाद पूत पा, आँसू भर माँ नैन विशाल। पराधीन निज मातृभूमि को, विचलित था वह…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अति साहस धीरज था, भुजबल भारत माँ का लाल,इतराती आजाद पूत पा, आँसू भर माँ नैन विशाल। पराधीन निज मातृभूमि को, विचलित था वह…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** सुबह-सुबह नित्य करें माता-पिता को चरण प्रणाम,फिर गुरुवर का ध्यान कर, भजें राम का नामयह महिमा हम देख लें सारे, होंगे अच्छे परिणाम,सफल निखर हो…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* कैसे दर्द बयां करूं, ये शब्द पूछ रहे हैं,कैसे लिखूं दरिंदगी की दास्तां, कलम पूछ रही हैगलती करे कौन, दर्द कौन भुगत रही है,हे…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे भारती पुत्रों, तुम्हारे संग आशीष सदा रहेगा हमारा,करते रहो राष्ट्र हित का कार्य, मस्तक ऊॅ॑चा होगा हमारा। हे भारती तुम्हारे अनेक भाई, सीमा में प्राण…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आदिपुरुष तुम, पूरणकर्ता, शिव, शंकर, महादेव।नंदीश्वर तुम, एकलिंग तुम, हो देवों के देव॥ तुम फलदायी, सबके स्वामी, तुम हो दयानिधान,जीवन महके हर पल मेरा, दो ऐसा…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** पावन सावन-मन का आंगन... नीर नयन से बहते मेरे, झड़ी लगी ज्यों सावन की।ऐसा लगता है प्रिय मुझको, बीते घड़ी सुहावन की॥ प्रियतम अब तो आ भी…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* नित जीवन में छाई बहार आई सावन की फुहार,रिमझिम-रिमझिम बूंदों के संग आई सावन की फुहार। पहली बारिश की फुहार से खिल उठा घर आँगन,छम-छम करती…
रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** पावन सावन, मन का आँगन... उर सागर से लेकर जल,नैना जो बरसाए सावनहो जाए पुलकित तन-मन,भीग जाए मन का आँगन। हे मही, तू क्यों इतराया,जब जग में…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया- भिगा, गिरा, सता, बना, निभा, दिखा इत्यादि; रदीफ़-रहे, २२१ २१२१ २२२१ २१२ बरसात, बनके मिल गए, दिल को भिगा रहे।उनके खयाल, आँख से बूंदें…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** धैर्य, संयम और परिश्रम से,सुन्दर सोच का आगाज़ होउन्नति और प्रगति पथ पर,आगे बढ़ने के लिएइस रस्म को लेकर,न कहीं विवाद हो। उत्तम सोच हमें बड़ा बनाती है,अपने मुकाम…