तप में होता प्रताप

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* तप से हरदम बल मिले, मन हो जाता शांत।बिखरे नित नव चेतना, रहे नहीं मन क्लांत॥ तप में होती दिव्यता, मिलता है आवेग।इसमें पावनता भरी, जो…

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पाश्चात्य संस्कृति और हम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** भटक रही है युवा पीढ़ी,नित-नित नए ख्वाब लिएमंजिल का कहीं पता नहीं,यूँ ही जीवन बर्बाद किए। पाश्चात्य संस्कृति का रंग,कूट-कूट कर भर गया हैअर्थहीन आज का युवा,बीच…

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बारिश और हम

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* चलिए बारिश में नहाएं,फिर से बच्चा बन जाएं। यहां से भागें वहां पे दौड़ें,तुम हमें, हम तुम्हें पकड़ेंजी भर खेलें-कूदे हम तो,फिर से सच्चा…

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प्रकृति की छटा निराली

कमलेश वर्मा 'कोमल'अलवर (राजस्थान) ************************************* प्रकृति की देखो छटा निराली,कितनी सुंदर कितनी मतवाली। ऊंचे-ऊंचे पर्वत देखो, निर्मल झरते झरनों को देखो,उन पर लहराते पेड़ों को देखो, करतल करते पत्तों को…

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शिव ही सत्य

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* दुनिया शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार।अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश।भक्ति प्रेममय शिव चरण, अर्पित रावण शीश॥ महादेव…

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बजे तब मेरे मन के तार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बारिश की नन्हीं बूंदों से,खुशी का हो जाए संचार।राग मल्हार सुनाए मेघ,बजे तब मेरे मन के तार॥ मिट्टी की सौंधी खुशबू से,महक उठा है ये जग…

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विकलांगता और मानवता

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* विकलांगता जीवन में दु:ख-दर्द की धारा है,मानवता से जग में दु:ख-दर्द भी हारा है। मन तो नहीं दिख सकता, पर अंग दिखा करता,मन ही इन…

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सुख का समन्दर

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** दुनिया की रीत है,मीठा-सा संगीत हैमाँ-बाप की अहमियत,अद्भुत व अलौकिक श्रंगार हैसबसे सुन्दर है रूप-रंग में,पृथ्वी पर ईश्वरीय उपहार है। खूबसूरती का एक उन्नत व,अपूर्व व बेहतरीन प्रतीक हैसूर्य…

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कर्मफल दाता

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* शरण में आ गई हूँ मैं, हे कर्मफल के महादानी दाता,चरण वन्दना करती हूँ मैं, स्वीकार करिए हे विधाता। अज्ञानी मूरख नार, धर्म-कर्म कुछ नहीं जानती…

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संदेश

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** उठो करो सतकर्म यही,सन्देश हमारा हैसद्प्रवृत्ति संवर्द्धन का,उद्देश्य हमारा है। कर्मठता के अमृत रस का,जग को पान कराओगौरव वान राष्ट्र की अपने,कीर्ति लता लहराओ।नेह नदी के पावन…

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