गगन के झरोखे से

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कब से रास्ता निहारती हूँ साजन,मैं दिलों के बीच झरोखे सेक्यों तुम सूना कर गए हो आँगन,बिना बोले चले गए धोखे से। क्यों छुप गए तुम…

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नमन तुम्हें है ‘इसरो’ जन

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** देश गर्व से देख रहा है,आज चमकते चाँद की ओरदुनिया में अपना नाम बना है,छूकर इसका तलीय छोर। भारत की इस जय में बोलें,जय…

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रूत सावन की

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** पावन सावन-मन का आँगन.... मन मयूरा नाच रहा,देख घटा घनघोरकोयल पपीहा तृप्त हुए,नाच उठे मोर। गहन अंधेरा घिर गया,कीट पतंगे करते शोरजुगनू फिर टिमटिमा उठे,जैसे नवल…

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आँगन है शान

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** घर का प्रवेश द्वारहै आँगन,बड़े-बूढ़ों के आरामका स्थान है आँगन। घर की स्त्रियों केलिए मेल-मिलाप,का स्थान है आँगनपशु-पक्षियों के लिए,बसेरा है आँगन। खुशियों की शहनाईबजती…

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तुम यहीं हो

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** मैं ढूंढ रहा हूँ,तेरे क़दमों के निशानतुम यहीं हो,तुम यहीं कहीं हो। ये हवा में महक,चूड़ियों की खनकबस यही कह रही है,तुम यहीं हो…तुम यहीं कहीं…

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दंभ मदमाता, नैतिकता कहाॅं ?

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तनिक सफलता दंभ अनल मन, जलता मानव अमन कहाँ है,निशिवासर गुमराह लाभ पद, उन्मादित मन शमन कहाँ है। मानवता की बात कहाँ अब, नैतिकता…

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ख़ामोशी

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह हुनर है एक क़ाबिल बन्दे का,ग़लत सवाल परजो हर वक्त ख़ामोश रहते हैं,सवाल करने वाले को इसी हुनर सेउसे उसकी हद में कर देते हैंबड़ी शिद्दत से यह,हुनर…

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सावन आया झूम-झूम के

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मिटा ताप का तेजस काया,झूम-झूम के सावन आयाकाले बादल, बरखा भायी,माया मोह भी अब शरमाईमस्त मगन सावन है आया,धरती माँ का भीगा आँचलबरसे बरखा, फटते…

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…तो याद आया

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** अपनों ने ही मुझे हर बार बातों में फँसाया,फिर किसी से खाया धोखा तो याद आया। कोई नहीं अपना यहाँ, जग पराया हो गया,एक और हो गया बेगाना,…

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ओ सावन के मेघा मतवाले

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** लगे कि जान, निकली जाएजीना मुश्किल है संसार मेंओ सावन के मेघा मतवाले,सब हैं तेरे इन्तजार में। सुरज तपिश ना झेली जाए,लगे दो-दो सूरज निकले हैंइनका काम,…

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