लोग तो ऐसे भी होते हैं…

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जान-बूझ कर सोच-समझ कर,आगे बढ़ते हुए की टांग खींचनादिल को पीड़ा देने वाली बातें करना,आश्चर्य नहीं होता अब बिल्कुलजान गया हूँ जरा-जरा,लोग तो ऐसे भी होते हैं। शहद…

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चमत्कार को नमस्कार

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** पद को पूजे, मद में झूमेमौज-मस्ती में हरदम घूमे,मतलब से ये करें प्यार है…चमत्कार को नमस्कार है। रिश्वत की रोटी खाते हैंगरज़ पड़े तो झुक जाते हैं,धरती…

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स्वप्निल महा छाया

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** ओ अण्ड-ब्रह्माण्ड की सुरभित सरजीके!नारी, वैभव की सुवासित स्वप्निल महाछायामुक्लित केश, उद्विप्त से नयन में कहां खोई है ?और क्यों श्वेत कमल गुच्छ है ये उर…

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पुकार रही वसुंधरा

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** गर्मी में ऊधम,वर्षांत में ग़म ही ग़मपेड़-पौधे की गुमनामी,जलवायु परिवर्तन का दौरपशु-पक्षियों का दुःख-दर्द,झुलस रही ज़िन्दगीगरीब असहाय व बेबस लोगों का,तकलीफों से सना संसार। नन्हीं दुनिया की बेचैनी,अशक्त लोगों…

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दीपक ही काफी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** दीपक किसी से,भेदभाव नहींहै करतागरीब हो या अमीर,सबके यहां एक जैसाहै जलता। हर वस्तु का महत्व,अलग-अलग जगह परअलग-अलग होता है,सूरज के आगेदीपक कुछ नहीं,पर अंधेरे…

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खूब मिलेगा मान

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** माँ-बाप का करो सम्मान,मत करो कभी अपमानयही हमारा परम धर्म है,और यही हमारी पहचान। गर्व करना छोड़ दो अब,दिल में रखो तुम ढलानमेहनत करके खाइए,मत लो किसी…

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भूल

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* भूल जाय द्वेष भाव,होय कोप का अभाव,काम का न हो विचार,दोष दूर कीजिए॥ लोभ मोह को हटाय,राग लालसा मिटाय,भूल को करें सुधार,राम नाम लीजिए॥ कर्म ही…

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आने वाला कल तुम्हारा है

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** घर धीरज आने वाला कल तुम्हारा है,भले ही आज सर्वत्र है घोर निराशापर यहीं छिपी है निश्चय कोई आशा,जिससे उज्जवल भविष्य तुम्हारा है। माना आज…

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प्रेम

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** छुई-मुई सी होती है पत्तियाँकभी छू के देखी नहींडर था कहीं प्रेम की प्रीत,बंद न हो जाए पत्तियों-सी। घर-आँगन में बिखेरे दानों को,चुगती है चिड़ियाएँचाहता हूँ आहट…

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प्रकृति बहुत नेहिल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सुंदर हैं नदियाँ सभी, भाता पर्वतराज।वन-उपवन मोहित करें, दिल खुश होता आज॥ कितनी प्यारी लग रही, देखो तो यह झील।अमिय लगे यह नीर तो, पसरी मीलों…

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