लोग तो ऐसे भी होते हैं…
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जान-बूझ कर सोच-समझ कर,आगे बढ़ते हुए की टांग खींचनादिल को पीड़ा देने वाली बातें करना,आश्चर्य नहीं होता अब बिल्कुलजान गया हूँ जरा-जरा,लोग तो ऐसे भी होते हैं। शहद…