पलटना भी जरूरी है

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** सियासत के तरीकों का,बदलना भी जरूरी है, अंधेरी रात का आलम,सुबह होना जरूरी हैl बहारों को पता दे दो,खिलाये फूल खुशियों के, चमन का बेरहम…

0 Comments

गले मिलो प्रेम संग

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* नई साल आती रहे,मन में हो शुभ भाव, करते शुभकामना,सभी हम प्यार से। भारत धर्म संस्कृति,आए न कोई विकृति, मन में गुमान रख,रहना संस्कार से। बार-बार…

0 Comments

नमामि अम्बिके

पवन कुमार ‘पवन’  सीतापुर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************** सबने है घूरा माई,ज्ञान है अधूरा माई। कर दो न पूरा माई,सुनो जगदम्बिके! भक्त-भयहारिणी माँ,कष्ट की निवारणी माँ, भवसिंधु तारिणी माँ,ओ री मेरी अम्बिके!…

1 Comment

साँवला कान्हा

प्रभावती श.शाखापुरे दांडेली(कर्नाटक) ************************************************ बैरी साँवलिया ना छोड़े। फागुन बहार आज॥ मधुर तान सुन मुरली की,रे! लागे मोहे लाज॥ श्याम साँवला,राधा गोरी। जैसे चाँद-चकोर॥ संग कन्हैया,नाचे राधा। होकर प्रेम विभोर॥…

0 Comments

नव वर्ष

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-११२१२ ११२१२ ११,२१२ ११२१२ १६,१२ मात्रा पर यति,चार चरणों का एक छंद,चारों चरण सम तुकांत) लगि चैत माह मने नया सन, सम्वती मय हर्ष है।…

1 Comment

खोज रहा नीर नेह

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान- २२ मात्रिक छंद-१२,१० मात्रा पर यति, यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य, चरणांत में गुरु (२),दो-दो चरण समतुकांत हों, चार चरण का एक…

0 Comments

इम्तहान

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ये जीवन है इक इम्तहान, सबको देना पड़ता है। जो जीता जीवन सोच-समझ, वही सफलता पाता हैll जीवन के इस इम्तहान में, माहिर भी धोखा…

0 Comments

फागुन

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** फागुन आया मस्ती लाया,रंग गुलाल उड़ाये। बाग-बगीचा सुंदर दिखते,भौंरा गाना गाये॥ पीले-पीले सरसों फूले,खेतों में लहराये। सोने जैसे गेहूँ बाली,सबके मन को भाये॥…

0 Comments

रंग ले के आयी होली

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** रंग ले के आयी होली,अँखियों से मारे गोली। गोरियों की भींगे चोली,रंग की फुहार में। जिसका भी देखो गाल,रंग से रँगा है लाल। टोली…

0 Comments

श्याम की दीवानी हुई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- (रचना शिल्प: वार्णिक छंद ८८८७-३१) श्याम की दीवानी हुई, प्रेम की कहानी हुई, पैरों में घुँघरू बाँध, नाचती ही जाये है। कान्हा जाये मिल…

0 Comments