हिंदी को बोलियों से मत लड़ाइए
डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************** मनुष्य की भांति भाषाओं का भी अपना समय होता है,जो एक बार निकल जाने के बाद वापस नहीं लौटता। इसे हम संस्कृत,पालि,प्राकृत,अपभ्रंश इत्यादि के साथ…