बच के रहो

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* आया `कोरोना`, मचा हड़कम्प- कुछ करो नाl बच के रहो, रोग खतरनाक- है महामारीl धोइए हाथ, हमेशा साबुन से- करो सफाईl सफर बंद, सभाएं स्थगित-…

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खुद से करो सवाल

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** धरती पर बादल घिरे,संकट के हैं आज। पीछे संकट के छिपे,कुटिल मानसी काजll जो बोता पाता सदा,बोने वाला आप। खुद ही पीड़ा बाँटकर,मिलता है संतापll कहने…

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घबराना तो ठीक नहीं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कोरोना घातक है लेकिन,घबराना तो ठीक नहीं, लापरवाही से यहाँ वहाँ पर,आना-जाना ठीक नहीं। अगर बचोगे खुद ही खुद तो,गैर स्वयं बच जाएंगे- नासमझी में…

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संभल कर रहो

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** जान ले रहा है 'कोरोना', अब हिंदुस्तान में। अब संभल कर रहो, अपने-अपने घरों में। कैसी बीमारी ये आई, जान पर आफत आई। न कोई समझे-न…

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याद

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ यादों के सहारे मरकर भी जी जाते हैं हम, जब अपने पुराने दिनों में खो जाते हैं हम। तुम बनते थे कान्हा और…

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दिल के तार बजते हैं..

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जब से हुई है मुहब्बत उनसे, दिल के तार स्वयं बजते हैं। कभी है पायल की रुनझुन तो, कभी अरमान मचलते हैं। नयनों की…

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अब तो बस करो ना `कोरोना`

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** `कोरोना`,अब तो बस करो ना, कोरोना,अब तो बस करो ना दुनिया तड़पे जीवन खातिर, तुम अब तो ठंडा पड़ो ना कोरोना,अब तो बस करो ना...।…

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भारतीय संस्कृति अपनाओ

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* पूरी दुनिया सिमट गयी, अपने घर के अंदर राम-राम का बोलबाला, चारों ओर हो रहा है। हाथ मिलाना बन्द हुआ, नमस्ते का प्रचलन हुआ चीन ने…

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वापसी (स्वयं की)

अंशु प्रजापति पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखण्ड) **************************************************************** मन खोने लगा है एक अनकही में, शब्द पिरोने लगा है एक अनकही में। कुछ धुँधली-सी हुई जो तस्वीर मेरे अस्तित्व की, परतें उस पर…

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मायने

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************************** पहली बार सिर उठाया, पहली बार अपने को स्त्री से अलग, हट कर सोचा। पहली बार हुई आहत, पहली बार अपनी अस्मिता के लिये…

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