बनते-बिगड़ते देखा

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** हमने देखा है तस्वीरों को, बनते और बिगड़ते। समय के साथ लोगों की, सोच को बदलते। क्या होते थे वो लोग, और क्या अब हो गए।…

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भारत माता की पुकार

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** ऐ मेरे बच्चों जरा मिल-जुल के रहना सीख लो, भाई-भाई हो सभी, तुम प्यार करना सीख लो। तेरी इस माँ भारती को रौंदने आ…

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देश तोड़ने पर तुले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** घृणा द्वेष अफवाह फिर,गर्माया बाज़ार। अमन चैन आवाम फिर,लड़ने को तैयारll संविधान के नाम पर,वोटतंत्र का खेल। गलबहियाँ फिर स्वार्थ की,शुरु हुआ गठमेलll…

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खेल तमाशा

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** दो वक़्त की रोटी के लिए, जोखिम कितना उठाने लगी। छोटी-सी उम्र में बखूबी, सभी दायित्व निभाने लगी। बचपन तू कर रही कुर्बान, खोने लगा तेरा…

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नफरत की आग

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** जो लोग नफ़रत फैला रहे हैं, वो आग लगा रहे जो देश जला रहे हैं, वो दुश्मन देश के क्या भला इसमें। जो इस तरह विरोध…

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जिंदगी की तलाश में…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जिंदगी ही निकल पड़ी है, अब जिंदगी की तलाश में। ये कहां-कहां भटकी है देखो, फिर बदली है लाश में। पक्षी के झुण्ड रोज…

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भावनाएं

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** कोई कहता देव अंश है कोई कहता कर्मवश है, निर्मल सुन्दर एक हंस है कहते जिसको काया। बसता जिसमें मन है उठता है जिसमे…

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मैं हिंद की बेटी…हिंदी हूँ

प्रीति शर्मा `असीम` नालागढ़(हिमाचल प्रदेश) ********************************************************************** भारत के, उज्जवल माथे की। मैं ओजस्वी...बिंदी हूँ, मैं हिंद की बेटी...हिंदी हूँl संस्कृत,पाली, प्राकृत,अपभ्रंश की, पीढ़ी-दर-पीढ़ी...सहेली हूँ। मैं जन-जन के , मन को…

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सर्द हवाएँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ************************************************************* सर्द हवाओं से मत पूछो, बिखेरे क्यों ये रंग हजारl मौसम ये अपने मिजाज, दिखते रंग सर्द में आजl ठंडी हवा झोंकों-सी इक पैगाम दे…

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निःशब्द हूँ `दिशा`

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** निःशब्द हूँ `दिशा` क्या कहूँ ? यह भारत है जहाँ आतंकवादियों को भी, बचाने को वकील खड़ा हो जाता है फिर तो तुम्हारे गुनहगार…

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