आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से अध्याय-१८.......... हुआ द्रवित मन,आँसू छलके, भाव विह्वल पितु लगे सोचने बेटी को भी समझ न पाये, लगे स्वयं को सहज कोसने। शिक्षा देकर…

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खुद को कुछ और सिखा डालूँ…

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** बहुत की पन्नों पर लिखावट मैंने, अब सोचता हूँ... खुद को कुछ और सिखा डालूँl कुछ मेरे अंदर अब भी बाकी है- अहंकार,क्रोध,कामना,लोभ,दम्भ,द्वेष ... इन्हें संपूर्ण…

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कैसे हो मुस्कान ?

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** राम-किसन के देश का, कैसा बुरा हाल। युवक चल रहे शान से, टेढ़ी-मेढ़ी चाल॥ टेढ़ी-मेढ़ी चाल, नशे का लगा रोग है। घर का बुरा हाल,…

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समाज को जगाओ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* समाज को जगाना है कुरीतियां भगाओ, दहेज के नाम पर यूँ बलि न चढ़ाओ। मारते हो कोख में ही अपनी बेटियों को, भ्रूण हत्या…

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स्वारथ का बाजार है…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सभी दोगले हो गये,सबके ढीले भाव। स्वाभिमान का है नहीं,अब इंसां को ताव॥ सबके कपटी आचरण,झूठे हैं प्रतिमान। मौका मिलते त्यागते,अकड़ू निज सम्मान॥ बदले…

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हर बार…करती हूँ खुद को तैयार

डॉ.सोना सिंह  इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************* नए से जीने के लिए हर बार, बिखरी हुई खुद को समेटती हूँ। एक बार फिर से जीने के लिए, करती हूँ खुद को इकठ्ठा। यहां-वहां…

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समरथ को सब कुछ क्षमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** पाप-पुण्य के व्यूह में,क्यों फँसते हैं आप। बनो सुजन सत् सारथी,बिन परार्थ है पापll जिसको लगता जो भला,उसे समझता पुण्य। आहत लखि निज…

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भ्रष्टाचारी मुखिया

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** घर-घर जाकर पड़े हैं पाँव मुखिया, मांग रहे वोट करके काँव-काँव मुखिया। गाँव की एकता से बनकर खड़े हैं मुखिया, बाद में फिर कभी नहीं पैर…

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मँहगाई

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मँहगाई की मार से, सारा जग बौराय। राशन आटा भाव तो, आसमान छू जाय॥ आसमान छू जाय, करे क्या समझ न आता। क्या…

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प्रेम है क्या ?

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** प्रेम है क्या ? प्रेम मन में उठते तरंगों का नाम है, या किसी के लिए मधुर जज़्बातों का नाम। किसी के साथ जीने-मरने का,…

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