नई शिक्षा नीति से शिक्षा के माध्यम में परिवर्तन…?

वैश्विक ई-संगोष्ठी भाग-२………. डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य'(महाराष्ट्र)- यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि,मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के स्वाभाविक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। विश्व के सभी विकसित देशों के बच्चे अपनी मातृभाषा में ही पढ़ते हैं और वहाँ सभी कार्य भी उनकी भाषा में ही होते हैं। इसलिए विकास की गति में भी वे … Read more

बेटियां हकदार,लेकिन मुश्किलें

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ********************************************************************** सर्वोच्च न्यायालय के ताजा फैसले ने देश की बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का हकदार बना दिया है। अदालत के पुराने फैसले रद्द हो गए हैं,जिनमें कई किंतु-परंतु लगाकर बेटियों को अपनी पैतृक संपत्ति का अधिकार दिया गया था। मिताक्षरा पद्धति या हिंदू कानून में यह माना जाता है … Read more

विश्वभर के लिए आत्मा की उपासना का उत्कृष्ट पर्व ‘पर्यूषण’

आचार्य डाॅ. लोकेशमुनिनई दिल्ली(भारत) *********************************************************************** पर्यूषण महापर्व १५-२२ अगस्त विशेष…. जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं,लगभग सभी में तप एवं साधना का विशेष महत्व है। जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पर्यूषण पर्व। यह पर्व ग्रंथियों को खोलने की सीख देता है और आत्मशुद्धि का वातावरण निर्मित करता है। इस … Read more

७ दशक की स्वतंत्रता और चंदू भैया की शोध डायरी…

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) ****************************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. हमारे चंदू भैया सामाजिक और साहित्यिक जीव हैं और उनका जन्म भी हमारी तरह स्वतंत्र भारत में हुआ,इसलिए उनने भी बचपन में पुस्तकों में पढ़ा और अध्यापकों से सुन रखा था कि भारत स्वतंत्र है। तभी से उनको ये आभास होने लगा था कि भारत में रहकर वो … Read more

हम कितने स्वतंत्र

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’बहादुरगढ़(हरियाणा)*********************************************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. अब हमें ७४वें स्वतंत्रता दिवस पर इस बात का गहनता से विचार करना है कि आज तक कितना स्वरूप बदला,बदला भी है,तो दिशा सकारात्मक है क्या ? इतनी अधिक जनसंख्या औऱ विविधता से भरे राष्ट्र में सबको साथ ले कर चलना,बराबर मान-सम्मान देना,किसी की भावनाओं को ठेस न … Read more

स्वतंत्रता दिवस:बलिदानों की कहानी

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)********************************************************************* स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. १५ अगस्त २०२० को हमारा ७४ वाँ स्वतंत्रता दिवस है। प्रथम स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त १९४७ को मनाया गया था; जिसमें मैंने भी भाग लिया था। उस समय मैं कोई १० वर्ष का रहा होऊँगा और गाँव के विद्यालय की प्रथम कक्षा का विद्यार्थी। मुझे … Read more

‘पराधीनता’ अभिशाप,तो ‘स्वाधीनता’ वरदान

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं’-इस उक्ति का अर्थ होता है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीनता एक तरह का अभिशाप होता है। मनुष्य तो बहुत दूर,पशु-पक्षी भी पराधीनता में छटपटाने लगते … Read more

आधुनिक हिन्दी के संरक्षक राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन-प्रो. अमरनाथ

हिन्दी के योद्धा…… भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन का राजनीति में प्रवेश हिन्दी प्रेम के कारण ही हुआ। १७ फ़रवरी १९५१ को मुजफ्फरनगर ‘सुहृद संघ’ के वार्षिकोत्सव के अवसर पर टण्डन जी ने कहा था-“हिन्दी के पक्ष को सबल करने के उद्देश्य से ही मैंने कांग्रेस जैसी संस्था में … Read more

‘विश्वास’ सबसे बड़ी पूंजी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* सनद रहे कि,विश्वास ही विश्वासघात की जननी होता है। दूसरे शब्दों में विश्वास पर धरती टिकी है। धरती पर आस्था है और आस्था जीवन है। जीवन संसारिक रिश्तों से संभव है।बात रिश्तों की करें तो रिश्ते अनेक प्रकार के होते हैं। जिनमें माता-पिता,बहन-भाई,दादी-दादा,नानी-नाना,बेटी-बेटा,धरा एवं राष्ट्र का रिश्ता प्राकृतिक … Read more

श्रीकृष्ण मोहिनी मूरत के बहुआयामी नायक

ललित गर्गदिल्ली ******************************************************************* जन्माष्टमी विशेष…….. श्रीकृष्ण का चरित्र अत्यन्त दिव्य,अलौकिक एवं विलक्षण है और उनका जन्मोत्सव का पर्व उससे भी अधिक दिव्य एवं विलक्षण है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव-जन्माष्टमी पर हमें उनसे प्रेरणा लेकर जीवन को जटिल नहीं,सरल और सहज बनाते हुए मानवता के अभ्युदय के लिये पुरुषार्थी प्रयत्न करने चाहिए,तभी इस पर्व को मनाने की … Read more