संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से शिलांग में ‘चन्द्र-ग्रहण’ मंचित

शिलांग(मेघालय)। संगीत नाटक अकादमी (नई दिल्ली)के सहयोग से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी(शिलांग)द्वारा रविवार २३ फरवरी को मउफलांग के जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में खासी लोक साहित्य पर आधारित नाटक 'चन्द्र-ग्रहण' का…

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फागुन के रंग

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* फ़ागुन के रंग में रंगा आसमां, धरती मुस्काए है चहुँऒर। रंगीं दिशाएं सभी यहां पर, ख़ुशी में नाचे मन का मोर। फ़ूल खिले हैं…

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फिसल गयी जिंदगी…

सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) *********************************************** समय की रेत पर फिसल गयी जिंदगी, देखते ही देखते में ढल गयी जिंदगी। करवटें बदल-बदल सोया निश दिन, अंत में करवट बदल गयी जिंदगी।…

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एहसास

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सोचा था एक होंगे हम,यही सोच लिए जा रहा हूँ, सदभाव तो आदत है मेरी,यही मैं जिए जा रहा हूँ। जाना था कहीं,कहीं और चले…

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हिमालय की चोटी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हिमालय की ऊँची चोटी, छू के भी देखो लक्ष्य का पीछा, करके भी देखो। जीत होगी तुम्हारी, तुम मिल के भी देखो आगाज ये हमारा, बुलन्दी…

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अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष...॥ जग है ये काजल की कोठी,…

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बिछुड़े लम्हें

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* बिछुड़ गए कुछ लम्हें मुझसे, जाने क्यों मालूम नहीं ? पाया था उन लम्हों में मैंने, खुशियों का अनमोल खज़ाना। क्या होता है ? प्रेम…

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मेरे अपने ऐसे हों…

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* मेरे अपने ऐसे हों,श्रीराम कृष्ण जैसे, जो मैं माँगू वह मुझे दे दे... जो मैं चाहूँ वो मैं पाऊँ। मेरे अपने ऐसे हों,सूर्य-चंद्र जैसे, मेरे…

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प्रकृति और हम

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** प्रकृति क्या है ? देखा जाए तो प्रकृति हमारे आसपास ही है। हमारे इर्द-गिर्द हरे पेड़-पौधे,सरसराती हवाएँ,पौधों पर जीवन व्यतीत कर रहे जीव-जन्तु, कलकल बहती…

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‘जलेस’ के मासिक रचना पाठ में कवियित्री पुष्पा रानी गर्ग ने सुनाई उत्कृष्ट कविताएं

इन्दौर(मप्र)। जनवादी लेखक संघ मासिक के रचना पाठ-७६ में वरिष्ठ कवियित्री पुष्पा रानी गर्ग ने कविता पाठ किया। उन्होंने दिवस शिशिर का,सुनियोजित,ईसा अभी भी जिंदा है,पथराई-सी देह,औरत गर्भवती है,काम पर…

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