‘आजाद’ रहा आज़ाद

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष……….. तिवारी बनकर पैदा हुआ, गया जो आजाद बनकर। अपना नाम आजाद और, पिता को स्वतन्त्रता बताकर। पन्द्रह वर्ष…

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शेखर की कुर्बानी

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष……….. जिस धरती पर राणा जी ने घास की रोटी खायी है, पर शत्रु के आगे कभी कायरता नहीं दिखायी…

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नहीं भूल सकते हम ऐसे वीरों की कुर्बानी

निशा गुप्ता  देहरादून (उत्तराखंड) ************************************************************* चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष........... शीशे का खिलौना समझा तुमने,वो फ़ौलादी सीना था, शूल बैनों से नहीं डरता जो अंगारों से खेला था। नित-नित…

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संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से शिलांग में ‘चन्द्र-ग्रहण’ मंचित

शिलांग(मेघालय)। संगीत नाटक अकादमी (नई दिल्ली)के सहयोग से पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी(शिलांग)द्वारा रविवार २३ फरवरी को मउफलांग के जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में खासी लोक साहित्य पर आधारित नाटक 'चन्द्र-ग्रहण' का…

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फागुन के रंग

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* फ़ागुन के रंग में रंगा आसमां, धरती मुस्काए है चहुँऒर। रंगीं दिशाएं सभी यहां पर, ख़ुशी में नाचे मन का मोर। फ़ूल खिले हैं…

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फिसल गयी जिंदगी…

सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) *********************************************** समय की रेत पर फिसल गयी जिंदगी, देखते ही देखते में ढल गयी जिंदगी। करवटें बदल-बदल सोया निश दिन, अंत में करवट बदल गयी जिंदगी।…

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एहसास

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सोचा था एक होंगे हम,यही सोच लिए जा रहा हूँ, सदभाव तो आदत है मेरी,यही मैं जिए जा रहा हूँ। जाना था कहीं,कहीं और चले…

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हिमालय की चोटी

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** हिमालय की ऊँची चोटी, छू के भी देखो लक्ष्य का पीछा, करके भी देखो। जीत होगी तुम्हारी, तुम मिल के भी देखो आगाज ये हमारा, बुलन्दी…

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अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष...॥ जग है ये काजल की कोठी,…

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बिछुड़े लम्हें

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* बिछुड़ गए कुछ लम्हें मुझसे, जाने क्यों मालूम नहीं ? पाया था उन लम्हों में मैंने, खुशियों का अनमोल खज़ाना। क्या होता है ? प्रेम…

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