छोड़ो निराशा

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मीठा नहीं तो क्या हुआ बस तू सुनाता चल,मन रस सुधा से तुम भरे हो, गुनगुनाता चल। मोड़ो नदी की धार पर्वत को करो समतल,छोड़ो निराशा की…

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मुशायरा-कवि सम्मेलन में किया सम्मान

मुम्बई (महाराष्ट्र)। लोखंडवाला (अंधेरी (पश्चिम) मुम्बई में 'तहज़ीब' कार्यक्रम में शानदार मुशायरा-कवि सम्मेलन किया गया। इसमें देश के बेहतरीन शायरों व कवियों ने प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि महाराष्ट्र राज्य हिन्दी…

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हर और दीवारें, राह बनाने के हो रहे उपाय

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** जनभाषा में न्याय!.... स्वाधीनता के पश्चात भी न्याय पाने का मार्ग हमेशा से अंग्रेजी के संकरे मार्ग से होकर गुजरता रहा है, जिसमें से कुछ संपन्न…

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कड़ी अनुपम

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** भाई-बहन,पावन रीति पर्व-स्नेह मिलन। प्रेम सकल,कड़ी तो अनुपम-रिश्ता अटल। आनंद मन,बहिन भाई खुशी-रक्षा बहन। मन हर्षित,खुशी अद्भुत सुख-सब गर्वित। गजब डोर,वचन भाई रक्षा-मंगल ठौर। करो संकल्प,निभाना सदा…

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सब कुछ तुम्हारे लिए

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** श्रृंगार रस.... मैं सजाता रहूं हसीं ख्वाब,मेरा हर ख्वाब तुम्हारे लिए है। हसीन यादों में जो ढल जाए,वो हर रात तुम्हारे लिए है। जिस गली में हो…

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साहित्यकार डॉ. ‘मानव’ को मिला राष्ट्रीय लघुकथा पुरस्कार

नारनौल (हरियाणा)। वरिष्ठ साहित्यकार और सिंघानिया विश्वविद्यालय (पचेरी बड़ी, राजस्थान) में हिंदी-विभाग के प्राध्यापक एवं अध्यक्ष डॉ. रामनिवास 'मानव' को लघुकथा-साहित्य में उनके विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योगदान के दृष्टिगत 'महादेवी…

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सफलता की ज़िद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* ज़िद पर आओ, तभी विजय है, नित उजियार वरो।करना है जो,कर ही डालो, प्रिय तुम लक्ष्य वरो॥ साहस लेकर, संग आत्मबल बढ़ना ही होगा,जो भी बाधाएँ…

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गंगा किनारे मेरा गाँव

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जहाँ बहती हैं गंगा, चलती है नाव,वही तो है हमारा प्यारा प्यारा गाँव। जहाँ बरगद, पीपल देते ठंडी छाँव,वहीं आम महुआ से, सजा है गाँव। चलो…

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हिम्मत न हारिए

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* किसी बशर को रब नहीं, करता कभी निराश।घने तिमिर में रात की, दे सूरज की आश॥ करना-धरना कुछ नहीं, करते हैं गुमराह।उनसे कोई क्या…

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जल रहा दिल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:२१२२, २१२२, ११२२, २२ दूर रहते हैं वो अब बात कहांँ होती है,लब सिले होते हैं आँखों से बयाँ होती है। जल रहा दिल ये…

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