वेब संगोष्ठी ६ नवंबर की शाम को
आगरा (उप्र)। केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से रविवार ६ नवंबर २०२२ को शाम ६ बजे (भारतीय…
आगरा (उप्र)। केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से रविवार ६ नवंबर २०२२ को शाम ६ बजे (भारतीय…
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** देखते रहें उसको दिनभर।उसका ही रहे इन पर असर॥बने सजन उसके ही जीवी।ए सखि दूजी ? ना सखि टी वी॥ बाहर निकलना हुआ मुश्किल।घर में बैठकर…
इंदौर (मप्र)। रचनात्मकता अपने परिवेश को देखने से आती है। संतुष्टि रचनात्मकता को खत्म कर देती है।यह विचार प्रसिद्ध लेखक, कला समीक्षक ओर शोधकर्ता चिन्मय मिश्र ने इंदौर स्थित माता…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* आज मेरा जन्मदिन है,मगर जन्मदिन मनाने का औचित्य क्या है ?भगवान जितने दिनों की आयु दिए हैं,उसमें से तो एक दिन कम हो गया…
मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** इस घोर कलियुग में मानव जीवन महाभारत युद्ध का रूप ले चुका है। प्रतिदिन व्यक्ति अपना जीवन सुखी, समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए मनोयुद्ध रूपी…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** तुझसे प्यार,सुकूँ-यार जिंदगी-मेरा करार। बहुत प्यार,पागल मैं सूरत-मैं बेकरार। दिल जिंदगी,अनाड़ी राह प्यार-प्रेम बंदगी। इश्क़ धड़क,ईश्वर नाम प्यार-मत झिड़क। प्रेम पकड़,बिखर नहीं प्रेम-मत अकड़। प्रेम निखर,याद तड़प…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धरती माता लाड़ का, है असीम भंडार।संतति की सेवा करे, है सुख का आगार॥है सुख का आगार, धरा है सुख की छाती।जो व्यापक संपन्न, प्रचुर है…
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** पुरानी दीवारों पर पुते हुए,नए पेंट के रंग उखड़ गए हैंदीवार के पुराने दिन,कहीं इनसे झाँकते से लगते हैं। तुम्हारी उंगलियों से उकेरे हुए,फूल अब भी…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रोना छोड़...हल्ला बोल,चुप्पी तोड़...हल्ला बोल। अत्याचार...अपचार को,सहना छोड़...हल्ला बोल। आतताईयों...हिंसक की,बाँह मरोड़...हल्ला बोल। बलात्काररियों...गुंडे की,आँखें फोड़...हल्ला बोल। अत्याचारी...खूनी की,टांगें तोड़...हल्ला बोल। देशघाती...राष्ट्र द्रोही,हैं ये कोढ़...हल्ला बोल। मुफ्तखोर…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** एक बार चुन्नू पड़ोसी के घर में रखे दहेज के सामान को देख रहा था।;फ्रीज, कूलर, कुर्सी, टेबल, सोफ़ा सेट, अलमारी सभी सामान अभी बाहर ही रखे…