विरोधाभास में आभास

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** विरोधाभास में आभास हैदर्शन जीवन प्यास है,ज्योतिर्मय ताप समानभोर मिलन की आश है। निश्चित सीमा है अवधिपश्चात सुखों के है व्याधि,अति शीत का ताप भी,तीव्र अग्न-सा पास…

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अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट युवा सम्मान समारोह नवंबर में

नारनौल (हरियाणा)। अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले युवाओं को हरियाणा के प्रतिभावान आईपीएस मनुमुक्त मानव के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनकी साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं लेखन क्षेत्र की…

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प्यार देकर मान लो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* है बहुत आसान लो।प्यार देकर मान लो। गूढ़ अब ये ज्ञान लो।दो दुआएं दान लो। चाहते गर आन लो।दाम दो सम्मान लो। सच सुकूं…

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कवि की दृष्टि अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख पर होनी चाहिए

रचना पाठ.... इंदौर (मप्र)। कवि की दृष्टि अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख पर होनी चाहिए। पानी की कमी तो आम आदमी भी जानता-समझता है, कवि को तो ईमानदारी की…

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आईना बात बता जाता है

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** कितना दिल का दर्द छुपाओ कभी सामने आ जाता है,निर्मल मन का यह आईना सारी बात बता जाता है। क्यों रिश्तो में पड़ी दरारें क्यों नाते…

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इतराता है चाँद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* इतराता है चाँद तो, पा तुझ जैसा रूप।सच,तेरा मुखड़ा लगे, हर पल मुझे अनूप॥ चाँद बहुत ही है मधुर, इतराता भी ख़ूब।जो भी देखे,रूप में, वह…

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जमीन से जुड़े साहित्यकार हैं डॉ. ‘मानव’

'वैश्विक साहित्य महोत्सव' नारनौल (हरियाणा)। जमीन से जुड़े सहित्यकार हैं डॉ रामनिवास 'मानव'। देश और समाज के प्रति इनके सरोकार बहुत गहरे हैं।यह बात हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता…

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न वादा करो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* न वादा करो तुम, कभी भी किसी से।बदल कर यहां हाल, मिलते सभी से। यहां साॅंस-धड़कन, सभी कुछ बदलता,बदलकर किसी को, कभी फिर न…

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मन की बात

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मन की कई बातें सखी कहते नहीं।अपने-पराये की कभी सहते नहीं॥ सब पर नहीं होता असर इस पीर का।सबको सुना कर अश्रु अब बहते नहीं॥ लगता समय संवेदना…

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कैसे मिटे अभाव

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** कहाँ गया प्रेम हृदय का,कहाँ गए वो भावह्रदय अब रिक्त हो चला,कैसे मिटे अभाव ? अब पीड़ा भी अन्तस की,मौन समाधि ले रहीकौन सुनेगा हरि सिवा,हृदय…

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