ऐसे ही बढ़ते रहे तो…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ऐसे ही बढ़ते रहे तो आखिर होगा क्या,देख कर आँख मूंदी तो आखिर होगा क्या ? चारों ओर है महंगाई, कई संकट सामने खड़े,लालन-पालन हुआ कठिन, आखिर…

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बचपन

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)****************************************** काश! लौट आते वे बचपन के दिन आज,जिसमें,दादी चूमती भालों को।माता,लोरी गा कर सहज सुलाती,बहना, चटकारी देती गालों को।वह बाबुल की बाँहों का झूला होता,सागर समझता…

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भर आई हरियाली

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** वर्षा की रिमझिम बूंदों से,भर आई है हरियाली।खेत, बाग, वन, चरागाह सब,लदे हुए फल तरू डाली॥ भरे खेत सब धान मदीरा,हरे-भरे हैं दालों से।लौकी, कद्द्दू, ककड़ी…

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कांपती धरा की पुकार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** कांपती धरा की है पुकार,मनुष्य कुछ तो करो विचार। यह धरती पर एक आक्रमण है,जनमानस की समस्याओं कासबसे प्रमुख कारण है। पृथ्वी नहीं सम्भाल पाएगी यह भार,समस्त समुदाय पर…

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बेरुख़ी अच्छी नहीं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-ई स्वर, रदीफ़-अच्छी नहींबहर २१२२, २१२२, २१२२, २१२ दोस्ती रक्खो सभी से दुश्मनी अच्छी नहीं।और अपनों से कभी भी बेरुख़ी अच्छी नहीं। देखकर अन्याय को…

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जीवन की उलझन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** उलझन तिलझन कितनी भी हो,मंजिल भी चाहे दूर लगेपल छिन-पल छिन बढ़ना है आगे,संग सभी मिल साथ चले। भूल-भुलैया है मार्ग में,चकित सभी हैं ठगे-ठगेकौन पराया कौन…

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पावस के संग

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* मन को तन को,नव जीवन दे,बरसात बहार सुहावन है।जब नीर हमें सबको सुख दे,तब गीत जगे मनभावन है।बरसे बदरा हम भीग गए,पर नीर सदा अति…

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मत शूल बनो तुम

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** ख़ार बनो मत शूल बनो तुम,मत काग़ज़ के फूल बनो तुम।ले जाए हर आँधी जिसको,हरगिज़ मत वो धूल बनो तुम॥ अपने पथ पर बढ़ते जाओ,हर पल…

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जीवन को जीवन्त कर दिखलाओ

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** कौन है वो मानव जो, जीकर भी है मृत समान,कविता के द्वारा करूं, इस पहेली का समाधान। जिन्दा होकर भी जिन्दा नहीं, ऐसा प्राणी कौन,मैंने उनको…

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शुक्रिया

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पहली बारिश की बूँदें,जो बदल देतीधरती का आवरण,ला देती इंसानीदिमाग में तरोताजापन,जो होता प्रकृति की ओर सेनिःशुल्क उपहार।पशु-पक्षी,पेड़-पौधे,और इंसान एकाकार होकरकरने लगते,ऊपर वाले का गुणगान।ऊपर वाले तेरा,लख-लख…

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