मानव-मानव एक बराबर

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** ईश्वर ने यह जगत बनाया,मिल-जुल करके रहने कोसुख में दु:ख में एक-दूसरे,के सहभागी बनने को। जलचर, थलचर, नभचर, जिनकाभी अस्तित्व जहां पर हैसबको रहने, जीने, खाने,का अधिकार…

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याद आई नेह भरी पाती

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** ज़िन्दगी का यह एक वरदान है,नेह भरी पाती सुख की खान है। अपनत्व और लगाव का प्रतीक है,सम्बन्धों को याद करता सटीक है। सृष्टि में खुशहाली का सुन्दर आहार…

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तक़लीफ़ तो होती है

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** मुझे पता है,जिंदगी हमेशा एक सीधीलकीर पर नहीं चलतीमैंने अक्सर देखा है,कलियों के खिलने परफ़िज़ा की रौनक,और एक दिन उसका'पूजा या 'अरथी' के नाम पर,तोड़ लिया…

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मेघा रे बरस…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** ओ मेघा रे… मेघा रे तू बरस,धरती की प्यास बुझाकिसान के मन की,आस जगा। इन्द्र की मुस्कान बन,बारिश की झड़ी लगाझरनों की कल-कल से,पर्वतों की शान बढ़ा।…

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ओ रे मेघा जब तुम आए…

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ओ मेघा रे… ओ रे मेघा नभ में आए तुम,महक उठी सखी अमराईकृषक हँसते-गाते खेतों में,ओ रे मेघा तूने आस जगाई। नीली घटा घनघोर छटा…

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हिम्मत का मोल

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** हिम्मत को जिन्दा रख, मौत इसे ना आने दे,बदले में कुछ भी जाए, ना रोक;उसे जाने दे। तोहमत और तानों की, रोज सहन कर मार,चाहे भरनी…

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दृष्टिकोण

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ विवाह की रस्में चल रहीं थी। दूल्हे की भाभी बड़ी खुश होकर सारी रस्म-रिवाजों का निर्वाहन कर रही थी, इस दौरान कई बार उनकी आवाज तेज…

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एकल उपयोगी प्लास्टिक: प्रतिबंध का पालन आवश्यक

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* सुनने में बेहद ही प्रिय, सामाजिक व राष्ट्रीय दृष्टि से उत्तम प्रयास है। पहले 'अच्छा है, अच्छा है, गुणों से भरपूर है, जल्दी टूटता नहीं, हल्का…

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जरा जल्दी आना

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** आकाश में जाते मेघ,जमीन पर गर्म हवाओंधूल भरी आँधियों के संग,तुम उड़ रहेसूखे कंठ लिए।हर कोई निहार रहा,पेड़ मानो कह रहे होथोड़ा विश्राम कर लो।हमारे गाँव में…

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भूल गए औकात

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** भूल गए औकात हैं, पाकर थोड़ा ज्ञान।अपनों को भी भूलते, करें अमित अभिमान॥ भूल गए औकात वे, भूली पिछली बात।छाया दौलत का नशा, डूबे हैं दिन रात॥ भूल…

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