गुरु की महिमा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गुरु हिमराज,गुरु अधिराज,गुरु का रूप,ज्यों ईश।गुरु आगार,सद साकार,गुरु के चरण,नित शीश॥गुरु नित वेद,नहिं हो खेद,मिले सुरवर,यह चाह।गुरु दिनमान,गुरु पहचान,गुरु से मिले,नव राह॥ गुरुवर नमन,दु:ख का…

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जला रहा बादल

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* ओ मेघा रे.. आग दिल में जला रहा बादल।प्रीत मन में जगा रहा बादल। घन गरज ही सुना रहा बादल।आब लेकर न आ रहा…

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गुरु बिन मिले न सच्चा ज्ञान

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** यह जीवन का सर्वोत्तम ज्ञान है,जगत संसार में गुरु सबसे महान हैज़िन्दगी की सफ़र पर आगे चलने वाले,बिन गुरु कृपा पृथ्वी पर सदैव अनजान हैं। राह दिखाते आदर्श सिखाते,सबसे…

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गद्य शैली के प्रमुख विधायक राजा लक्ष्मण सिंह

प्रो. अमरनाथ, कलकत्ता( पश्चिम बंगाल)******************************** हिन्दी योद्धा-पुण्यतिथि विशेष आगरा (उप्र) के वजीरपुरा नामक स्थान में जन्मे, आगरा में पढ़-लिखे राजा लक्ष्मण सिंह (९-१०-१८२६, १४-७-१८९६) को ‘राजा’ की उपाधि भी अंग्रेजों…

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करम के भरोसे…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* करम के भरोसे रहता बेकार,मन जीवन के कर्म सजा ले।कर ले भव को पार॥ तन की काया, मन की माया,सब जाएंगे छूट।हाथ पसारे जाना…

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देखो फिर सावन आया

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* हरियाली की छटा बिखेरे,देखो फिर सावन आया हैमन जैसे पुलकित हो उठा,खुशियाँ अनमोल लाया है। धरती ने धानी चुनर ओढ़ी,पेड़ों पर पत्ते जवां हुएझरने मीठे गीत…

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काश! कुछ ऐसा हो जाए

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* मनुष्य को आस-पास का परिवेश सदैव प्रभावित करता है। किसने किस समुदाय से क्या सीखा, यह अपने स्वभाव पर निर्भर करता है और फिर वह सबके…

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तितली रानी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** नव रंगों से है सजा चमन,आया सावन मास मधुर हैरंग-बिरंगे पंख खोल चहुँ,तितली रानी पुष्प शिखर है। इतराती रति रागिनी बनकर,इठलाती तितली युवमन हैप्रीत…

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गीत प्रेम के मैंने गाए

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा २८, १६-१२ यति, अंत दो गुरू एक दूजे में हम रच गये, बनती गयी कहानी।गीत प्रेम के मैंने गाए, हो गयी मैं दिवानी॥ प्रेम पाश…

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गुरु नहीं, जीवन शुरू नहीं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** गुरुपूर्णिमा विशेष.... प्रत्येक मानव को ही शिक्षा के लिए शिक्षक की जरुरत होती है। वास्तव में मानव बहुत कमज़ोर प्राणी होता है, बनिस्बत पशुओं के। पशु जन्म के…

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