पावस
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ओ मेघा रे.... गीत गा रही वर्षा रानी, आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥ गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ओ मेघा रे.... गीत गा रही वर्षा रानी, आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥ गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी…
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** ओ मेघा रे… ओ मेघा रे,ओ मेघा ना तरसा रेअब तो सुधा रस बरसा जा रेतपती धरती राह देखती,पवन अगन बरसाए रे। जीव-जन्तु दुखी त्रस्त पड़े हैं,पथिक…
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* ओ मेघा रे… आओ रे मेघा! झूम के आओमहीनों बीत गए गर्मी में,सूरज से अकुलाई धरा परबरखा का संदेश सुनाओ।आओ रे मेघा… प्यासी धरती बाट निहारेसुबह-शाम मरुभूमि…
तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** ओ मेघा रे… काली-काली घटा लिए छा गए मेघा,साफ आकाश में चारों और घिर आए मेघा। बारिश का उपहार ले के आए मेघा,उष्णता से राहत की…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** ओ मेघा रे… आज़ दिल से गुहार है,मेघा बरसो न जल्दतरस रहा है मन मेरा,यह मेरी दिल से निकली पुकार है। धरती की ऊष्मा बर्दाश्त नहीं होती,तपती धरती यहांअब…
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** अति जब भी होती है, बांध तभी टूटते हैं,सब्र के इम्तिहान में नक़ाब सभी टूटते हैं। मुखौटो का बाजार है, मुस्कान है सस्ती,गैरों को छोड़ो, अपने भी…
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** लल्ला खोले जब नयन होती भोर भी,पलकें मूंदे, रात होती घनघोर भी। ले बलायें मैया मेरा है साँवरा,गोपियाँ कहतीं हमारे चितचोर भी। मन मुलायम बन गया…
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** यह दुनिया है परिवर्तनशील,रहता नहीं यहाँ कुछ स्थाई हैआज जहाँ दिखता सुन्दर रूप,कल अवश्य मिटेगा, सच्चाई है। आते-जाते इन रूपों में,हमें संग-संग चलना हैकहीं मिलें…
मंडला(मप्र)। शिक्षा व साहित्य के लिए सतत् गतिशील दम्पति प्रो.शरद नारायण खरे व डॉ.नीलम खरे को प्रकाशन 'निर्दलीय' ने अपनी स्थापना केे पचासवें वर्ष में सम्मानित किया। भोपाल के गाँधी…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** सावन में बूंदों की रिमझिम,सबके मन को भाती हैझूलों के संग हिल-मिल सखियां,जीवन का राग सुनाती है। गाती है मल्हार खुशी से,वो फूली नहीं समाती हैऐसे में…