आँचल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आँचल- धानी चूनर भारती,आँचल भरा ममत्व। परिपाटी बलिदान की,विविध वर्ग भ्रातृत्व। विविध वर्ग भ्रातत्व,एकता अपनी थाती। आँचल भरे दुलार,हवा जब लोरी गाती। शर्मा बाबू लाल,करें हम क्यों नादानी। माँ का आँचल स्वच्छ,रहे यह चूनर धानी। कजरा- कजरा से सजते नयन,रहे सुरक्षित दृष्टि। बुरी नजर को टालता,अनुपम कजरा सृष्टि। अनुपम कजरा सृष्टि,साँवरे … Read more

सदा ही प्रेम से बनते सब काज

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** छोटी-छोटी बात पर,कभी न लड़ना आज। रहो सदा ही प्रेम से,बनते हैं सब काज॥ बनते हैं सब काज,सहारा सब का बनना। भाई-भाई प्रेम,सदा जीवन भर करना॥ कहे ‘विनायक राज’,इसे समझो मत खोटी। सबका आज महत्व,बड़ी चाहे हो छोटी॥

राघव

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* राघव है रघुवंश के,पुण्य अयोध्या धाम । सूर्यवंश सिरमौर है,सीता जिनके वामll सीता जिनके वाम,द्वापर के कृष्णमाधव। करे लोक उद्धार,राजा राम हैं राघवll नारायण ने सृष्टि में,लिया मनुजअवतार। मर्यादा को पालते,सबके तारणहारll सबके तारणहार,बताए गुण रामायण। राघव है श्रीराम,जो हैं स्वयं नारायणll राजा हैं संसार के,रघुपति राघव राम। दीनों की … Read more

शिव स्तुति

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** शिव के रूप अनंत है,शिवा नाम आधार। शिव महिमा गायें सदा,शिवा लगाएं पार। शिवा लगाएं पार,भंवर से वही उबारे। वही डूबती नाव,को है पार उतारे। जीवन का हर कष्ट,दूर करते हैं हर शिव। सभी क्लेश अज्ञान,मिटाते रहते हैं शिव॥ शिव शक्ति अनमोल है,शिव ईश के ईश। शिव की महिमा गाइए,सदा … Read more

यादें

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** यादें तड़पाती मुझे,चैन नहीं दिन रात। हर पल आती याद है,उससे की जो बात॥ उससे की जो बात,हमें जब याद सताती। मिलने को मजबूर,वही यादें घिर आती॥ कहे विनायक राज,किये उसने जो वादे। उन्हीं दिनों की बात,बसी है मन में यादें॥

वेणी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* वेणी- मिलती संगम में सरित,कहें त्रिवेणी धाम! तीन भाग कर गूँथ लें,कुंतल वेणी बाम! कुंतल वेणी बाम,सजाए नारि सयानी! नागिन-सी लहराय,देख मन चले जवानी! कहे लाल कविराय,नारि इठलाती चलती! कटि पर वेणी साज,धरा पर सरिता मिलती! कुमकुम- माता पूजित भारती,अपना हिन्दुस्तान! समर क्षेत्र पूजित सभी,उनको तीरथ मान! उनको तीरथ मान,देश हित … Read more

खोना

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मत खोना सम्मान को,ये तो है अनमोल। इसे बचाना साथियों,मीठा-मीठा बोल॥ मीठा-मीठा बोल,मिलेगा स्नेह सभी से। हो जा तू तैयार,सँजोने मान अभी से॥ कहे ‘विनायक राज’,निराशा तुम मत होना। अपना ये सम्मान,कभी भी तुम मत खोना॥

डोरी

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** टूटे कभी न डोर ये,बनते ये संजोग। रिश्ते बन्धन प्रेम का,बँधे सभी हैं लोग। बँधे सभी हैं लोग,जहां में देखो प्यारे। कहलाते परिवार,सभी मिल रहते सारेll कहे `विनायक राज`,यहाँ कोई मत छूटे। प्रेम-भाव निःस्वार्थ,कभी मत डोरी टूटेll

चितवन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* चंचल चर चपला चषक,चण्डी चूषक चाप्! चितवन चीता चोर चित,चाह चुभन चुपचाप! चाह चुभन चुपचाप,चाल चल चल चतुराई! चमन चहकते चंद,चतुर्दिश चष चमचाई! चाबुक चण्ड चरित्र,चतुर चतुरानन चंगुल! चारु चमकमय चित्र,चुनें चॅम चंदन चंचल! (इक दृष्टि यहाँ भी:चॅम=मित्र,चष=दृश्य शक्ति या नेत्र रोग) परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ … Read more

आओ साजन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** आओ साजन पास में,मन मेरा हर्षाय। किरण जगी उम्मीद की,प्रीत हिलोरे खाय॥ प्रीत हिलोरे खाय,मगन मेरा मन डोले। पिया मिलन की चाह,मधुर कोयलिया बोले॥ कहे ‘विनायक राज’,गीत प्यारा कुछ गाओ। साजन कर मत देर,आज जल्दी घर आओ॥