कुल पृष्ठ दर्शन : 203

निर्ममता…मन रो पड़ा

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
*************************************************


पढ़ कर
ये घटना,
मन रो पड़ा।
आदमी तो,
जानवर से भी
वहशी निकला।
फल में
खिला कर बारूद,
एक असहाय
हथिनी को,
गर्भ में जिसके
पल रहा था
एक जीव,
दुनिया में
आने से पहले ही,
मार डाला
निर्ममता से।
क्या मिलता है ?
बेज़ुबान,असहाय
जीवों को,
बेवज़ह सता कर।
हद ही हो गई
दरिंदगी की,
मौत हो गई
सम्वेदनाओं की,
निकला जनाज़ा
भावनाओं का।
आदमी से
बेहतर तो
आज पशु है,
नहीं लिया
जिसने बदला,
नहीं मचाया उत्पात।
मनुष्य की
पाशविकता के आगे,
तड़प-तड़प कर
दम तोड़ दिया।
आख़िर साबित
क्या करना चाहता है
आज आदमी…??

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

Leave a Reply