चढ़ चेतक रणबाँकुरा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. अमर वीर गाथा वतन,चित्तौड़ी सन्तान। महाराणा प्रताप थे,गौरव यश वरदान॥ भारत माँ प्रिय लाड़ला,आज़ादी सरताज़। लड़ा मुगलिया सल्तनत,महायुद्ध आगाज़॥ तजा राज वन वन फिरा,भोजन रोटी घास। तन मन धन माँ भारती,शत्रु दमन विश्वास॥ महाबली गंभीर वह,महायोध रणधीर। चढ़ चेतक रणबाँकुरा,आकुल भारत वीर॥ … Read more

सपने

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सपने, सिर्फ सपने कभी नहीं होते, यारों वो अपने। सोच, समझ कर देखो स्वप्न सुनहरे, नहीं रहे अधूरे। भरो, ऊँची उड़ान सपनों के लिए, खुला हुआ आसमान। देखो, रोज सपने हकीकत में पाँव, जमीन पर अपने॥ परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ … Read more

प्रकृति का बिछुड़ना

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** सूरज एक,चन्द्रमा एक धरती सारी बंट गई, प्रकृति की सुंदरता कहाँ जा के छुप गई। बादलों से हो व्रजपात समुन्दर से हो चक्रवात, महामारी बनी महा काल अपनों से सब बेहाल। एक तरफ तो पानी है एक तरफ अनगिनत कहानी, लाचारी ही लाचारी है कुदरत ने ही ढहाई है। सोचा था … Read more

नमन शहीदों वतन प्यार पे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** शहादत शहीद अरु मोहब्बतें, ध्वजा तिरंगा हाथ थाम के। बने सारथी मातु भारती, चले विजय रण कफ़न बांध केl नमन शहीदों वतन प्यार पेll भारत माँ के लाल अनोखे, तन मन धन न्यौछावर कर देl गज़ब मुहब्बत आन वतन के, दिए शहादत बन शहीद केl नमन शहीदों वतन … Read more

उठो कलम के प्रखर साधकों

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** राजनीति ने हिंदी माँ की,अस्मत पुन: उछाली है, लाज छोड़कर एक हो गया,ग्राहक के सँग माली है। उठो कलम के प्रखर साधकों,हिंदीमय भारत कर दो- वरना सवा अरब बेटों को,माता की यह गाली है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की … Read more

मजदूर की मंजिल…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर, फिर उसी सड़क पर चलते हुए पैरों पर पड़ जाते हैं छालेl `मत` देकर सरकार बनाता है मजदूर, लेकिन वही सरकार छीन लेती है उनके निवालेl कारखानों में लोहा पिघलाता है मजदूर, फिर खुद लगता है गलने-पिघलनेl रोटी के लिए घर-द्वार … Read more

जा भुला दिया तुझको

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) **************************************************** जा भुला दिया तुझको भी, इक अधूरे अरमान की तरह। तू मेरी जिन्दगी में आई महज, एक काले ख्वाब की तरह। एक आँधी की तरह अचानक से, मेरे समूचे वजूद को हिलाकर रख दिया। और मैंने भी एक पल के लिए, तेरे काँधे पर अपना सिर रख दिया। खिंचता … Read more

आत्मनिर्भर हम बनें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अपने को अपना कहें,स्वीकारें भी अन्य। अच्छाई जिसमें दिखे,बनाये उसे अनन्य॥ आत्मनिर्भर हम बनें,चलें देश के साथ। उत्पादक जो देश का,स्वीकारें बढ़ हाथ॥ कर्मवीर मजदूर हम,आत्म निर्भर समाज। रनिवासर मिहनतकसी,स्वागत नव आगाज॥ स्वाभिमान रक्षण स्वयं,बढ़े सुयश सम्मान। हर्षित मन जीवन मनुज,निर्भर खु़द इन्सान॥ सक्षम हम सर्वांग से,कर सकते … Read more

सड़कें यूँ उदास तो न थी…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** अपनों से मिलने की ऐसी तड़प,विकट प्यास तो न थी, शहर की सड़कें पहले कभी यूँ उदास तो न थी। पीपल की छाँव तो हैं अब भी मगर, बरगद की जटाएंं यूं निराश तो न थी। गलियों में होती थी समस्याओं की शिकायत, मनहूसियत की महफिल यूँ बिंदास … Read more

नवजीवन उपहार…

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) **************************************************** सहज मन भीतर धर रे धीर, समय है माना विकट गंभीर। देखकर बाधा के शहतीर, ना होना विचलित हे महावीर। यही है अपना प्राणाधार, करो इससे जीवन साकार। रहेंगे हम संयम के साथ, मिलेगा नवजीवन उपहारll जैसे रहती आत्मा, निज देह बना प्राचीर। जान समय प्रतिकूल, रहो तुम अपने … Read more