सिगरेट बोले रे…

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** (रचना शिल्प:तर्ज-झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में) सिगरेट बोले रे,जीवन की मंझधार में,सिगरेट बोले रे…, चाचा आओ ताऊ आओ,छत पर लो सुलगाओ, जी कर क्या करना है,मेरे संग में मौज उड़ाओl बीड़ी बोली ना ना बाबा,ना मुझको छोड़ कर जाओ, और तंबाकू कहती देखो,आकर मुझको खाओl हाँ आकर मुझको खाओ, … Read more

बेटी

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** भारी उसका पेट था,सास चाहती लाल। लेकिन किस्मत चल गयी,देख अनोखी चाल। देख अनोखी चाल,जनी है उसने बेटी। खोल रही है सास,रोज तानों की पेटी। साफ चमकती आज,सास की है लाचारी। चली सदन ‘राजेश’,बहू के पद थे भारी। मिलती रही प्रताड़ना,गरल उतारे नार। गुड़िया के डग ले रहे,रोज नये आकार। रोज … Read more

सरस-सुहावनी हिंदी हूँ मैं

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. अभिवादन में वंदन करती,चंद्र बिंदु की बिंदी हूँ मैं, मुझसे दूर नहीं अब जाना,सरस सुहावनी हिंदी हूँ मैं। कर मत हाय-हैलो अब भाई,चरण पकड़ना छोड़ नहीं, कहकर गुडलक अपनों का,अपनों से मुख तू मोड़ नहीं। कर दी उपयोगी अंग्रेजी,झेल रही नित मंदी हूँ मैं… शब्द-शब्द के भेद … Read more

हिन्दी है जन-जन की भाषा

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** महात्मा गांधी ने कहा था “हृदय की कोई भाषा नहीं है। हृदय से हृदय बातचीत करता है,और हिंदी ह्रदय की भाषा है।” हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी,ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को १४ सितम्बर १८४९ को लिया गया था। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित-प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा … Read more

जीवन के उस पार

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** सिर्फ नैनों में थे सपने, धरातल पर होते नहीं, जो कभी साकार। अब, अपने कद से भी ऊंचा, हो गया है उनका आकार। ये उन दिनों की बात है, जब हाथों में होता था गुल्ली-डंडा। छोटी-सी डपट पर, गरम होता खून पापा के पदचाप की आहट सुन, हो जाता था ठंडा। … Read more

उनकी कमी खली जाए

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** साँस जितनी बची चली जाए। जिंदगी फिर नहीं छली जाए। स्वार्थ वाली पकी तवा रोटी, साग अब फिर कहीं जली जाए। मुस्कुराते रहे हज़ारों में, आज उनकी कमी खली जाए। गम हटा कर कभी चला करना, राह फिर मौज से ढली जाए। हार दर पर तेरे चढ़ाया जो, नोंचती तो नहीं … Read more

बिन लड़े कौन जीत पाता है भला

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** (रचना शिल्प:बहर-२१२२ २१२२ २१२२ २१२) झाड़ आँगन आज कोई अब लगाता है भला। बिन लड़े ही कौन जग में जीत पाता है भला। बस यूँ ही तकदीर को कब तक रहोगे कोसते, देख ठोकर कौन फिर से चोट खाता है भला। राह की बाधा अनेक सर उठाये जो अगर, मुश्किलों से … Read more

साहित्यकार राजेश `पुरोहित` को मिला `विलक्षणा समाज सारथी` सम्मान

भवानीमंडी(राजस्थान)l सामाजिक संस्था विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति(रोहतक,हरियाणा) द्वारा रविवार को जिला विकास भवन में राष्ट्रीय स्तरीय सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें राजस्थान से भवानीमंडी के कवि-साहित्यकार राजेश कुमार शर्मा पुरोहित को विलक्षणा समाज सारथी सम्मान से सम्मानित किया गया। परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार,सांसद अरविंद शर्मा,हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ.सोमेश्वर दत्त शर्मा से … Read more

विभाजन की रेखाएँ

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** कुण्डलपुर गाँव में आज एक ही चर्चा थी-सेठ धनपत राय के चारों बेटे ने अपना अपना हिस्सा ले लिया। सेठजी की धन-दौलत,मकान-दुकान,सोना-चाँदी का आज बँटवारा हो गया। छोटे से लेकर बड़ों तक गाँव के लोगों में बस एक ही चर्चा थी। नाई की दुकान पार मंदिरों की धर्मशालाओं में,चौपालों पर सबके … Read more

आषाढ़ के बादल

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** लेकर हल काँधे पर निकल गए भूमिपुत्र सारे, खुशियों को बांटने चले आये आषाढ़ के बादल। माटी की सौंधी-सौंधी महक से झूम उठे खेत, भूमिपुत्रों को मनाने आ गए आषाढ़ के बादल। ये इंद्रधनुषी सपनों को उम्मीदों के पंख लगाने, फिर उमड़-घुमड़ कर आ गए आषाढ़ के बादल। कूप बावड़ी ताल … Read more