नहीं बनना मुझे निरर्थक

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ************************************************************************* सुबह-सवेरे अलसाई-सी मैं, ज्यों ही खोला दरवाजा दरवाजे के पास पड़ा, एक फूल था प्यारा। बेहद सुंदर फूल, इधर-उधर नजर दौड़ाई... लेकिन कोई काम न…

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जीवन है अनमोल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दुर्लभ मानव देह जन,सुनते कहते बोल। मानवता हित 'विज्ञ' हो,जीवन है अनमोल॥ धरा जीव मय मात्र ग्रह,पढ़े यही भूगोल। सीख 'विज्ञ' विज्ञान लो,जीवन है अनमोल॥ मानव…

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उम्मीद

प्रीति शर्मा `असीम` नालागढ़(हिमाचल प्रदेश) ****************************************************************** जिंदगी उम्मीद पर टिकी है, परेशानियां... कितनी भी आ जाए। आने वाली हर खुशी की, उम्मीद पर टिकी है॥ जिंदगी उम्मीद पर टिकी है,…

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खुशियों की क्यारी दादी माँ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* हाथ में लाठी झुकी कमर, वट वृक्ष पर ढलती उम्र जीवन के अनुभव बनकर, जीना दिखलाती हँस कर झरती ममता का निर्झर, सच्चा पाठ…

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कहना

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कहना- कहना बस मेरा यही,सुन नव कवि प्रिय मीत! शिल्प कथ्य भाषा सहित,रखें भाव सुपुनीत! रखें भाव सुपुनीत,छंद लिखना कुण्डलियाँ! सृजन धरोहर काव्य,उठे क्यों कभी अँगुलियाँ!…

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न जाने इंतजार किसका है ?

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* बहुत दिनों से सुनसान है त्रिवेणी का तिराहा, जहाँ गाहे-बगाहे, अक्सर ही दिख जाते हैं एक लड़का और एक लड़की, करते हुए प्रेमालाप। उस तिरहे…

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माँ अवनि के दो पुत्र

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** निशा समय नित स्वरूप, गगन में राज कर रहे निशापति चाँदनी जगमगा रही चहुँ ओर, विश्राम कर रही प्रजा सभी। देख अपनी प्रजा कुशल, निशानृप थे…

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पानी है अनमोल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन 'विज्ञ' सतोल। जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल॥ मेघपुष्प,पानी,सलिल,आप: पाथ: तोय। 'विज्ञ' वन्दना वरुण की,निर्मल मति दे मोय॥ जनहित जलहित देशहित,जागरूक…

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दादी कुछ कहती थी

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* भोर में वो उठ जाती थी, स्व कर्म में लग जाती थी। मौन सदा वह रहती थी, दादी फिर भी कुछ कहती थी॥ हाथ में…

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खेत में डेरा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* प्रथम शतक........... खेत में डेरा हाथ में मोटी रोटी, दूध की डोली। तेल बिनौरी सिर पर छबड़ी, गीत गुंजन। होली के रंग चौपाल पर ताश, चंग…

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