चुप क्यों हो ?

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* क्यों चुप हो अन्याय के सम्मुख, क्यों चुप हो अधिकार के सम्मुख क्यों चुप हो देख दानव बल को, क्यों चुप हो तुम प्यार के सम्मुख ? तव सम्मुख है कौन विवशता, धर्म पथ से है तव पग हटता चुप क्यों हो अनीति देख कर, कैसा भय तव उर में … Read more

निश्चित ही ‘कोरोना’ को जीतोगे

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* करुणा से तुम निश्चित ही ‘कोरोना’ को जीतोगे, स्वहित ओ परहित चिंतन तुम उर में जब लहोगे। एकांतवास ओ स्वच्छता घर भर में तुम लाओ, मोदी जी का संदेश अपना कर स्वस्थ राष्ट्र बनाओ॥ हम सबका भी पुनीत कार्य है देश हित करने का, कोरोना पीर से जो अति पीड़ित … Read more

महँगाई

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अब तो सुन लो ओ कन्हाई, खूब बढ़ी है अब महंगाई धनवान अति धनी हुए हैं- निर्धन की है आफत आई। बूढ़ी माँ क्यों कराह रही है, भूखे बच्चे सुला रही है महँगाई दम तोड़ रही है- झूठी लोरी सुना रही है। कब तक यह परीक्षा लोगे, कब तक दारुण … Read more

गणतंत्र दिवस मनाएँ

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… आओ मिलकर हम,गणतंत्र दिवस मनाएं, संविधान का है यह,दिवस सबको बताएं। आज़ाद भारत में रहकर,भी जो भ्रमित है, ऐसे भ्रम को उर से,उनके हम मिटाएं। राष्ट्रहित को त्याग जो नित ज्वाला जलाते। उनको शांति का पाठ अब कैसे पढ़ाएं ? प्रश्नचिन्ह लगता है उनके राष्ट्रप्रेम पर। … Read more

फाग

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* राकेश-रश्मियों ने भोर को सजा दिया, दिनकर ने आकर स्वर्णिम रंग लूटा दिया, चहुँ ओर खग-कलरव संगीत बन गूँज रहा- मधुरिम प्रकृति ने सुखद फाग गा दिया। चम्पा,चमेली,सरसों,टेसू ने रंग भर दिया, बाल,युवा वृद्ध वृन्द सबका विभोर जिया, अमुआ का बोर आ नव नव राग लेकर- कोयल-संगीत ने मंत्रमुग्ध कर … Read more

अनुबंधों के सम्बन्धो में

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अनुबंधों के सम्बन्धों में,जाने कहाँ सम्बंध खो गये, अपने,अपने नहीं रहे अब,जाने क्यों प्रतिबन्ध हो गये। सुख-दु:ख था जीवन में फिर भी,सुखमय सबको लगता था, आज अहं-विवाद ग्रस्त हो,परस्पर स्वतः कटु कन्द हो गये॥ प्रेम भाव था सम्बन्धों में,औपचारिकता ही अब पनप रही, मिलन की टीस सदा उठती थी,वो भाव … Read more

यह कैसा है परिवर्तन

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* यह कैसा है परिवर्तन, यह कैसा जग का नर्तन जहाँ नित नारी मिटती, होता नित नारी मर्दन। कब तक शोर मचायेंगे, क्रूरता कैसे मिटायेंगे कैसे धैर्य धरेंगे जन, दूर होगा कब वहशीपन कब तक होगा ये क्रंदन। कैसी सन्तति उभर रही है, मर्यादा का पतन कर रही है माता-पिता निश्चित … Read more

तुम ही मेरे लक्ष्य हो…

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* तुम्ही मेरी मंजिल,तुम्हीं मेरे लक्ष्य हो, सभी कहते मुझसे तुम तो अलभ्य हो। मन ना ही समझे ना ही जग में उलझे, उर में बसाया है परम् शिव सत्य को॥ वेदनाएं जीवन में क्यों न असंख्य हो, कैसे दिखाऊं मैं उर-व्रण सबको। चेतनाएँ जब तक नहीं होगी जागृत, निरख न … Read more

बाल वाटिका

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. विश्व बाल वाटिका सदा हरी-भरी रहे, देश के कर्णधार हैं शक्ति की पुकार हैं, सौम्य के भंडार हैं। अभुदय हो नित प्रति, ज्योति प्रज्ज्वलित रहे॥ विश्व बाल वाटिका… तुम जग की ज्योति हो, विश्व की विभूति हो नित नवीनकर्म में, नव सदा स्फूर्ति हो। आशाओं … Read more

एक कदम

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* प्रण लिया था,दुर्गम पथ पर जाने का,जीवन के नव निर्माण का, व्यवधान था मेरे स्वार्थी मित्रों का दुःख था उनसे विलग होने का, कैसे खण्डित करें घनिष्ठ मित्रता। जिसने कर दिया था स्व चिंतन नष्ट, विलगता देती थी महान कष्ट उदभवित हुए थे नव आधुनिकता के सभी गुण, जो सभ्य … Read more