माँ की महिमा अपरम्पार

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** सुनो हे माता शेरावाली,अरज़ करुं मैं बारम्बार,'उमेश' पर रखना दया की दृष्टि,महिमा तेरी अपरम्पार। हे माता ममतामयी हो तुम,मैं तो खड़ा तुम्हारे द्वार,खाली है मेरी झोली मैया,महिमा…

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रहिए मौन

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** यह दुनिया है अवसरवादी,किसको समझाए कौन,तू-तू,मैं-मैं से भला है,लगभग रहिए मौन। मौन बनाए बिगड़े काम,समझदारी से मिले आराम,सद्विचार से काम करें तो,सदा सहायक बनते राम। मौन बड़ी…

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घृणा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** देसी से परदेसी हुआ,झेला दु:ख और पीड़ादर-दर भटका,खाया झटका,दिन-रात एक-सा करकेमुद्रा लेकर घर पर अटका,आया काम नज़र में जो भीकरते गया अब पैसा सटका,सगे संबंधी स्वार्थी निकलेकरने…

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सड़क रे,जरा शीतल हो जा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** सड़क रे,जरा शीतल हो जा,मजदूर आ रहे हैं शहर से भागे जान बचाकर, रोज़ी-रोटी सब कुछ गँवा कर बिन खाये बिन पानी चलते, भूखे पेट को हाथ…

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गाँव जा रहा गाँव

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** रेल की पटरी पर चलते नंगे पाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है गाँव पसीने में लथपथ धूल भरी रोटी, भूख बड़ी गठरी…

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गाँव हमारा सबसे प्यारा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** गाँव हमारा सबसे प्यारा,चलो गाँव अब लौट चलें, वहाँ की बात निराली हरदम,चलो मान उसका रख लें। अपने गाँव की माटी से हम तो,कभी दूर…

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मजदूर की रोटी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** अपनी व्यथा कहूँ मैं किससे,उमर हो गई छोटी, सारी दुनिया बंद पड़ी है,कैसे चलेगी रोज़ी-रोटी। रीढ़ की हड्डी हम हैं लेकिन,लगता है यह टूटेगी, रोज़ी-रोटी…

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समाज के प्रति हमारा कर्तव्य जरुरी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. संपूर्ण जीव-जगत में मनुष्य को ही सर्वश्रेष्ठ जीव माना जाता है,और मनुष्य ने अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से यह सिद्ध…

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वही सबका रखवाला है

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** क्या खेल समय ने खेला है, जग में 'कोरोना' का मेला है। सबके साथ भी नर अकेला है, क्या खेल समय ने खेला है...। ईश्वर…

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यही है इंसानियत

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** आदि मानव से मानव हुए,मानव से इंसान, सुकर्मों से यश मिले,नर हो समान भगवान। अनजाने कोई मदद माँगे तो,पहचानो उसकी नीयत, वास्तव में हो लाचार…

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