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अक्षय तृतीया:सामाजिक व सांस्कृतिक शिक्षा का अनूठा त्यौहार

श्रीमती अर्चना जैन
दिल्ली(भारत)
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अक्षय तृतीया २६ अप्रैल विशेष…………….
अक्षय तृतीया का दिन भारतभर में कई त्योहारों के रूप में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को
‘आखातीज’ भी कहते हैं। यह पर्व वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी कार्य किए जाते हैं वह पूरी तरह सफल होते हैं,एवं शुभ कार्यों को अक्षय फल मिलता है। इस हेतु इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं। इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है। अक्षय तृतीया का दिन अपने-आपमें कई गाथाओं को समेटे हुए हैं। भारत के कई हिस्सों में विशेषकर दक्षिण भारत में परशुराम जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन सोना खरीदना बहुत लाभकारी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन गृह प्रवेश,पदभार ग्रहण,वाहन खरीदना,भूमि पूजन आदि शुभ कार्य अत्यंत लाभदायक एवं फलदायी होते हैं।
इसी दिन वृंदावन के बांकेबिहारी जी के चरण दर्शन एवं प्रमुख तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं।
अक्षय तृतीया जैन धर्मावलंबियों का महान धार्मिक पर्व है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने एक वर्ष की पूर्ण तपस्या करने के पश्चात गन्ने के रस से हस्तिनापुर में पारणा किया था। भगवान आदिनाथ ने सत्य व अहिंसा का प्रचार करने व अपने कर्म बंधनों को तोड़ने के लिए संसार के भौतिक पारिवारिक सुखों का त्याग कर जैन वैराग्य अंगीकार किया था। भगवान आदिनाथ ने लगभग ४०० दिन की तपस्या के बाद ही प्रथम आहार अक्षय तृतीया के दिन ग्रहण किया था। यह पर्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। संयम जीवन यापन करने के लिए इस प्रकार की धार्मिक क्रियाएं करने से मन को शांत विचारों में शुद्धता,धार्मिक प्रवृत्ति में रुचि और कर्मों को काटने में सहयोग मिलता है। जैन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व समझा जाता है। मन,वचन एवं श्रद्धा से वर्षी तप करने वालों को महान समझा जाता है।
बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक बड़ी धूमधाम से यह उत्सव मनाया जाता है। मालवा में नए घड़े के ऊपर खरबूजा और आम के पल्लव रखकर पूजा होती है। राजस्थान में वर्षा के लिए यह शगुन निकाला जाता है। वर्षा की कामना की जाती है। अक्षय तृतीया सामाजिक व सांस्कृतिक शिक्षा का अनूठा त्यौहार है। कृषक समुदाय में इस दिन एकत्रित होकर आने वाले वर्ष के आगमन हेतु कृषि पैदावार आदि के शगुन देखे जाते हैं।
इस प्रकार यह अक्षय तृतीया अपने-आपमें बहुत ही शुभ दिन है। इस दिन धर्म ध्यान,दान,पूजा आदि करके इस पर्व को सार्थक करना चाहिए।

परिचय-श्रीमती अर्चना जैन का वर्तमान और स्थाई निवास देश की राजधानी और दिल दिल्ली स्थित कृष्णा नगर में है। आप नैतिक शिक्षण की अध्यापिका के रुप में बच्चों को धार्मिक शिक्षा देती हैं। उक्त श्रेष्ठ सेवा कार्य हेतु आपको स्वर्ण पदक(२०१७) सहित अन्य सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है। १० अक्टूबर १९७८ को बडौत(जिला बागपत-उप्र)में जन्मी अर्चना जैन को धार्मिक पुस्तकों सहित हिन्दी भाषा लिखने और पढ़ने का खूब शौक है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी होकर भी सामाजिक कार्यक्रमों में सर्वाधिक सक्रिय रहती हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त निस्वार्थ भाव से सेवा देना,बच्चों को संस्कार देने हेतु शिविरों में पढ़ाना,पाठशाला लगाना, गरीबों की मदद करना एवं धार्मिक कार्यों में सहयोग तथा परिवारजनों की सेवा करना आपकी खुशी और आपकी खासियत है। इनकी शिक्षा बी.ए. सहित नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण है। आपको भाषा ज्ञान-हिंदी सहित संस्कृत व प्राकृत का है। हाल ही में लेखन शुरू करने वाली अर्चना जैन का विशेष प्रयास-बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए हर सफल प्रयास जारी रखना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार और सभी को संस्कारवान बनाना है। आपकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुन्शी प्रेमचन्द व कबीर दास जी हैं तो प्रेरणापुंज-मित्र अजय जैन ‘विकल्प'(सम्पादक) की प्रेरणा और उत्साहवर्धन है। आपकी विशेषज्ञता-चित्रकला,हस्तकला आदि में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी मातृ भाषा है,हमारे देश के हर कोने में हिन्दी का प्रचार-प्रसार होना चाहिए। प्रत्येक सरकारी और निजी विद्यालय सहित दफ्तरों, रेलवे स्टेशन,हवाईअड्डा,अस्पतालों आदि सभी कार्य क्षेत्रों में हिन्दी बोली जानी चाहिए और इसे ही प्राथमिकता देनी चाहिए।

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