रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** पावन सावन-मन का आँगन... रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे,पिया मिलन को जियरा तरसेमैं तो बनी योगिन के जैसे,छोड़ पिया गए जब घर से।रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे,पिया मिलन को जियरा तरसे॥…

0 Comments

आक्रोश

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मणिपुर की घटना,घटना नहीं, कलंक हैतृष्णा नहीं दरिंदगी है,एक ऐसी दरिंदगी जो-मानवता को शर्मसार करती है। बदले की भावना में मनुष्य,इतना नीचे गिर सकता…

0 Comments

महादेव, करो नमन स्वीकार

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** हे देवों के देव महादेव, करो मेरा नमन स्वीकार,दे दो आशीष मुझे ऐसा, महिमा लिखूँ मैं अपरम्पार। हे सृष्टिकर्ता महादेव, गुण गाऊँ मैं बारम्बार,रचित हुआ है तेरे…

0 Comments

तलाश

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** उम्र की अपनी फितरत है,वह किसी से गुफ्तगू नहीं करती हैकिसी ख़ास से भी,मशवरा नहीं करती हैसांझ की आहटों से ही,कुछ-कुछ पता चलता हैख्वाहिशों को अब पंख न मिलें,की…

0 Comments

नर-नारी अब समान

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** नर-नारी अब एक समान,दोनों के ही एक परिधान,सिंदूर न टीके का ध्यान,दिन और रात एक समान। बदला जीवन विधि-विधान,माता-पिता को है संज्ञानविश्व में चलन चढ़ा…

0 Comments

बड़ा गुनाह

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बड़ा गुनाहमिले ऐसी सजाना दें पनाह। कैसा समयतार-तार अस्मितातोड़ा सम्मान। ये लोक-तंत्र!बुरा विचार-आगस्त्री कब तक? ये कैसी हिंसा ?लूट रहे अमनभूले अहिंसा। जरूरी न्यायना हो हैवानियतना हो…

0 Comments

सरिता बहे हित में

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सरिता बहे जगत के हित में, सबको नीर दे।खेत सींचती,मंगल करती,सबकी पीर ले॥सरिता अपना धर्म निभाती, बहती ही रहे।कोई कितना कर दे मैला, सहती ही रहे॥…

0 Comments

सावन बरसे, खुशियाँ घर-आँगन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पावन सावन-मन का आँगन... मुस्कान खिली ऋतु पावस मुख, आनंद मुदित मधु श्रावण है,फुलझड़ियाँ बरखा हर्षित मन, नीड़ भरा माँ का आँगन हैमहके खुशबू…

0 Comments

पावन व पवित्र माह

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** पावन सावन-मन का आँगन... पावन पवित्र सावन,पवित्र भावनाओं को सहेजने वालीअनुपमा का अपूर्व सौन्दर्य है,उन्नत ईश्वरीय खोज कासुन्दर आभार लगता है यहाँ,मानों हम घोषित कर दिए गए दिग्विजय हैं,हमें…

0 Comments

छोड़ न…, सब चलता है

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** दिल को लगी ठेस,और मरहम भी जलता हैपर छोड़ न,सब चलता है। तो क्या हुआ,जो ठुकरा रही है दुनियाठोकरों से ही तो,इंसान सम्हलता हैपर छोड़ न,सब…

0 Comments