कुल पृष्ठ दर्शन : 366

You are currently viewing हाय-हाय गरीबी…

हाय-हाय गरीबी…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
********************************************

जीवन को उलझाय गरीबी,
अँखियन आँसू लाय गरीबी
दाने-दाने ललचाय गरीबी,
अपचार को लुभाय गरीबी।
हाय-हाय…

अशिक्षा भी बुलाय गरीबी,
कुसंस्कार दिखलाय गरीबी
सदा गंदगी भाय गरीबी,
बीमारी भी बुलाय गरीबी।
हाय-हाय…

आलस दास को आय गरीबी,
ज्ञान देख घबराय गरीबी
बुद्धि को करे बाय गरीबी,
जनसंख्या बढ़ाय गरीबी।
हाय-हाय…

राजनीति की आय गरीबी,
नेता चाह न जाय गरीबी
खेला वोट कराय गरीबी,
मुफ्तखोर बनाय गरीबी।
हाय-हाय…

दया की भीख पाय गरीबी,
सुरसा मुख बनाय गरीबी।
दुनियाँ को खा जाय गरीबी,
फिर भी न ये मुटाय गरीबी॥
हाय-हाय गरीबी…

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।