आशा में ही मंज़िल
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************************* जब इंसाँ मायूस हो,बस तब होती हार।वरना हरदम ही मिले,विजयश्री उपहार॥ आशा मन का भाव है,रखना इसको साथ।तब ही निश्चित आयगी,सदा सफलता हाथ॥ परचम फहरा आस का,ले तू जग को जीत।बने सफलता नित्य ही,प्रिय तेरी तब मीत॥ आशा है तो आत्मबल,आशा से विश्वास।आशा से संसार है,आशा से है आस॥ फहराता … Read more