बेटी…रंग-बिरंगी तितलियाँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** स्कूल की जब होती छुट्टी,ऐसा लगतामानो बगीचे में उड़ रही होरंग-बिरंगी तितलियाँ।तुतलाहट भरी मीठी बोली से,पुकारती अपने पापा को'पापा…'इतनी सारी नन्हीं,रंग-बिरंगी तितलियों मेंढूंढने लग जाती,पिता की आँखें।मिलने…

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कौन थामेगा!

संजय जैन ‘बीना’मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************* फिसलती जिंदगी को,कोई तो थाम लेगादिया जिन्होंने धोखा,उन्हें संभाल पाएगाहो जाए अगर कश्ती में,कोई छेद तो क्या करेगाखुद को बचाएगा या,वो कश्ती को बचाएगा। उठना और फिर…

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तुमको माँ कैसे बुलाऊँ

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** मन मलिन है काया मैली माँ तुमको कैसे बुलाऊँ,इतना भी पावन नहीं मन में तुमको कैसे बिठाऊँभरे हुए हैं अवगुण मुझमें पाप कर्म संग खड़े…

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मिलन कब होगा!

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कहो ना,तुमसे मिलन कब होगा!खत भेज देना,जब मिलन होगा। आते वक्त कहे,जल्द लेने आऊॅ॑गा,दु:ख की घड़ी होगी,तब बुला लूॅ॑गा। काहे भूल गए,तुम तो मेरे प्रेमी हो,आते…

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दर्द की दास्तान

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** सुकून से जीने वाले को,उनके जख्म परमरहम लगाने वालों का,शिद्दत से हरपल इंतजारयहां खूब रहता है,इसे शिकवा-शिकायतकही जाए या कुछ और,दर्द की कैफियतपूछने वालों की,खूब जरूरत दिखती हैदर्द के…

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कुछ फर्ज भी हमारा है

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** तुमने दिया है जीवन हमें,कुछ फर्ज भी हमारा है।आँखों में जो भी है ख्वाब,वह सिर्फ तुम्हारा है॥ गौतम,महावीर,राम,कृष्ण,जन्मे हैं तेरी धरती पर,आजाद,भगतसिंह,बिस्मिल्लाह,कुर्बान हुए तेरी हस्ती पर।हम…

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कहना मेरा मान लो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** कहना मेरा मान लो,करना है कुछ काम।बिना काम के जिंदगी,होती है बदनाम॥होती है बदनाम,सोच लो अब क्या करना।बिना काम आराम,मनुज रे तुझको मरना॥कहे 'विनायक राज',संग…

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ऋतुओं का लेखा

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** जिंदगी के हिसाबों जैसी,ऋतुएं हिसाब करती हैंतपती धूप में शीतलता,का भी जवाब करती हैं। ऋतुओं का लेखा-जोखा,मनुष्य का बही खाता है,कर्म बीज की खाद जैसी,फसलों का फ़ल पाता…

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लहरों-सी स्मृतियाँ

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** स्मृतियाँ होती है समुद्र की लहरों की तरह,एक आती-जाती है,मारती है टक्कर किनारों परटोहती रहती है रास्ता यहां-वहां,मथती रहती है दिमाग कोफिर चली जाती है कुछ पल के…

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सजनी का विरह

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उफ़ ये बासंती बयार क्यों जियरा मेरा जलाये,दूर बसे हैं साजन मेरे याद बहुत ही आये। ये शीतल पुरवाई तन में कांटों-सी चुभती है,अब मुझसे ये…

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