प्रेम तुम्हारे स्पर्श का

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** तुम्हारे स्पर्श का नरम आश्वासन,मेरी मुट्ठी के बन्धन से छूटकरभावों की वाहिनियों में दौड़ने लगता है,मैं सुघड़ता से किनारे सरका देती हूॅंअपनी वैचारिक बेचारगी को। तुम्हारे…

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बचपन रखना

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ये बचपनमासूमियत वालाहमेशा रहे। खुशियों वालाआया 'बाल दिवस'मनाएँ इसे। कोमल मनरखना बचाए इसेहै ये पावन। ये भाग-दौड़है चिंता भविष्य कीछूटते मोड़। लगाओ पंखभावी समाज बच्चेनभ में उड़ो।…

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शरदाकुल कुहरा प्रलय

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************** शरदाकुल कुहरा प्रलय, अगहन पूस बसात।सिहराती तनु अस्थियाँ, कौन सुने ज़ज्बात॥ विषम शीत कुहरा गहन, कहाँ वस्त्र तनु दीन।आजादी हीरक बरस, दीन गेह श्री…

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प्रेम की गाँठें

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** ठंडी हवा,मचल कर न चलठंड की आबो-हवा,कहीं चुरा न ले जियाबेचैन तकती निगाहें,मौसम में देखती दरख्तों कोसोचता मन कह उठता,बहारें भी जवान होती। धड़कनें बढ़ जाती,प्रेमियों की…

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चलो चलें वनभोज में

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** चलो चलें वनभोज में,मिल-जुलकर मौज मेंपूस माह के संयोग में,चलो चलें वनभोज में। कह दो सभी दोस्तों को,छोड़ो न किसी रिश्ते कोमिल-जुलकर सभी जाएँगे,झूमेंगे, नाचेंगे…

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निर्माता ब्रह्माण्ड सकल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* जो निर्माता ब्रह्माण्ड सकल, वह पूज्य सनातन ईश्वर हैजो सर्जक पालक संहारक, वह जगन्नाथ परमेश्वर है। जो चतुर्वेद अर्धनारीश्वर, जो शक्ति ब्रह्म विश्वेश्वर हैवह…

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कैसी तृष्णा…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** प्रयत्न का पानी प्राप्त करती तृष्णा,कामना की खाद पर पोषित होती तृष्णा…हर हृदय खेती में लहलहाती हरियाती तृष्णा,कभी उज्ज्वल कभी काली तृष्णा…। कभी न भरने, मरने वाली…

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परोपकारी

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** हम ईश्वर के प्यारे बच्चे,नेक कर्म करें बनें सच्चेअकड़ दिखाकर नहीं तनें,चलो हम भले मानव बनें।हम ईश्वर के प्यारे बच्चे… सरिताएं जैसे देती है…

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एकता का बंधन…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** देश भक्ति भावना की, मन में उमंग लिए,प्यारा ये तिरंगा सीमा, पर लहराइए।शत्रु के समक्ष शीश, झुके नहीं भारत का,त्याग बलिदान युवा, पीढ़ी को सिखाइए॥ संकट…

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अंधेरी रात-सी वीरान जिन्दगी

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** जब तुम अचानक जिंदगी से अलविदा हुए,तेरी चिता के साथ सब अरमान जल गएबच्चों के पालन-पोषण में अब तक कटे थे दिन,कैसे बताऊँ, कैसे कटे थे ये…

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