प्रेम से मिलते हैं…

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) *********************************************************************************** कहीं-कहीं पर रंग मिलते हैं, कहीं पर मित्रों दिल मिलते हैं। सालों की कटुता कोई मिटाता- प्रेम का पर्व यह प्रेम से मिलते हैं॥ परिचय–शशांक…

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सुलझती ही नहीं रिश्तों की उलझन

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* हवाओं में जो उड़ते हैं कहाँ क़िस्मत बदलते हैं, बड़े नादान हैं जो चाँद छूने को मचलते हैंl फ़ज़ा में रंग है लेकिन नहीं रंगीन है…

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दिल्ली क्यों दहली!

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ये दिल्ली थी दिलवालों की अब क्यों है दंगाई की, क्या कसूर उन मजदूरों का... बलि चढ़ी उन वीरों की। क्यों न पूछें ये जनमानस कानून…

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छैयां नीम की

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** आँगन की छैयां सुहानी, बाबा सुनाते थे कहानी दादी लिए हाथ में पानी, देख हमें कैसे मुस्काती। खेलें हम पकड़े बंहियां..., नीम की छैयां...॥ गर्मी के…

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उपदेश

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* देने वाले देने को उपदेश, बहुत दे जाते हैं... पर क्या ऐसा होता है वो, उस पर चल पाते हैं। देते हैं उपदेश धर्म…

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मुझे प्यार नहीं हो सकता

श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’ मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************************************* हुस्न कभी वफादार नहीं हो सकता, मुझे इश्क़ से इंकार नहीं हो सकता। पत्थर सा दिल हो गया है मेरा, अब मुझे प्यार नहीं…

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चैन,करार गया रे अपना

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** ऋतु आई वासन्ती देखो, मदमाती अलबेली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो॥ नैन कटार मीठे हैं बोल, छीन लिए दिल अनमोल।…

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अपना शीश झुकाता हूँ

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसने अपनी कोख में मेरी,काया का निर्माण किया, जिसने अपनी साँसों को ही,मेरे तन का प्राण किया। उस जननी के पदपंकज पर,इतना नेह जताता हूँ,…

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बारिश:गाँव और शहर

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* बारिश! तू ठण्डी हवा के साथ, अभी शहर में ही रह। जहाँ ए.सी. चलाकर फैलाया जा रहा हो प्रदूषण, जहाँ दोपहर के जाम में फँसकर…

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स्मृति-विस्मृति!!

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** जीवन में कभी-कभी कुछ प्यारा खो जाता है, जीवन की प्रियतम वस्तु के खो जाने से... जीवन फिर जैसे अर्थहीन-सा हो जाता है! दुखों…

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