एक माँ की मजबूरी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* (`ऑटिज़्म` एक ऐसा मनोरोग है,जो बच्चे को तो दु:ख देता है और सबसे ज्यादा आहत होती है माँ। एक ऐसी ही माँ का दर्द-) “गीता ओ गीता,(बाहर से आती आवाज से चौंककर बाहर आयी, गीता अभी अभी बेटे की थैरेपी कराके लौटी थीl)…” “आइए भाभी क्या बात है,आप … Read more

पुराना फर्नीचर

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** धूल झाड़ते हुए सुहासिनी देवी के हाथ एकाएक रुक गए,जिस फर्नीचर पर अभी वह जोर-जोर से कपड़ा मार रही थीं,उनके हाथ अब उसी फर्नीचर को बड़े प्यार से सहला रहे थे। ये वही फर्नीचर थे,जिसे उन्होंने अपने कड़की के दिनों में भी एक-एक पैसा जोड़कर खरीदा था। उस समय इन्हीं … Read more

थर्मस की चाय

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  जब से होश संभाला था,वह सभी गृह कार्य बड़ी निपुणता से करती आयीं थी। बेटी,बहन और बहू बनकर तो बड़ों का ध्यान रखने के सारे फर्ज निभाए ही,किंतु सास बनने पर भी कार्यों से निवृत्ति ना मिली थी उन्हें। नयी बहू की आदत देर तक सोने की … Read more

जागते रहो!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* “चौकीदार चाचा नमस्ते,कैसे हो ?” “अरे,बिटिया कब आए ससुराल से ? (थोड़ा रुक कर),सब बढ़िया है तुम्हारे परिवार में ?” “हाँ चाचा सब बढ़िया हैI आप सुनाओI चाची कैसी है ?” “बिटिया तुम इतने सालों में आती हो,खैर-खबर ही नहीं तुम्हेंI” “क्यों चाचा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप … Read more

चिड़िया के बच्चे

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ उफ्फ! फ़िर तिनके…परेशान कर रखा है इन चिड़ियों ने…। उमा एक हाथ में झाडू उठाये बड़बड़ाये जा रही थी। मैंने कमरे से ही आवाज लगायी-“क्या हो गया उमा ? क्यूँ गुस्सा कर रही हो इन बिचारी चिड़ियों पर..!” “क्या करूं दीदी,२ बार झाडू लगा चुकी हूँ। पूरे घर में इन शैतानों … Read more

तीन रुपये का व्यय

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) ************************************************************** एक राजा था। वह परा विद्या(अध्यात्म विद्या) का ज्ञाता था। एक दिन उसने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवाया,और सभी प्रजावासियों को महल में एकत्रित होने के लिए आमंत्रित किया।सभी प्रजावासी और राजा के मंत्रीगण भी महल में आ गए। राजा ने सभी प्रजावासियों और मंत्रियों को तीन-तीन रुपये दिए और कहा-तुम … Read more

चान्डाल चौकड़ी की पिकनिक

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. टिंकू मेंढक,पिंकी गिलहरी,टफी कछुए और गोलू पिल्ले की टोली जंगल में चांडाल चौकड़ी के नाम से प्रसिद्ध थी। जमीन पर,पानी में और पेड़ों पर भी इनके उपद्रव का अंत न था। पेड़ के नीचे से निकलने वालों पर फल या फलों की गुठलियाँ गिराना,नदी के … Read more

माँ से कहो कि आश्रम…!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* मुकुंद आज आने में काफी देर हो गई। हाँ! बस थोड़ा-सा काम आ गया तो यही सोचा पूरा होने पर निकलूं। नीरू किचन की ओर बढ़ते हुए,-“मुकुंद जल्दी फ्रेश हो जाओ,मैं खाना लगाती हूँ।” तुम खाना लगाओ नीरू,बस मैं यूँ गया और यूँ आया। खाना परोसते हुए नीरू कुछ … Read more

अनार्याणां प्रवेश: निषिद्ध

सुशांत सुप्रिय  ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** पंडित ओंकारनाथ संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थेl लोग उनके पांडित्य का लोहा मानते थे। पांडित्य उन्हें संस्कारों में मिला था।एक और वस्तु जो उन्हें संस्कारों में मिली थी,वह थी-कुल का गौरव और जातिगत अभिमान। उच्च वर्ण का जातिय अहं उनकी नस-नस में भरा था। उनका मानना था कि उनकी शिराओं … Read more

नया बरगद,बूढ़े बाबा

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** “इसे ही ‘समय का फेर’ कहते हैं। आज मैं बेसहारा हूँ,लाचार हूँ,पर भगवन भक्ति से मुख नहीं मोड़ा है। यही कारण है कि मैं अपने वर्तमान को देख पा रहा हूँ। यहाँ बैठे-बैठे अपने साथ-साथ अतिथि भगवनों का भी पेट भर जाता है। समय-समय पर भक्ति-भजन और भंडारे का आयोजन … Read more