संघर्ष और जिजीविषा का दर्शन है ‘उस औरत के बारे में’

पुस्तक समीक्षा............... छंदमुक्त काव्य प्राँगण में डॉ. आशा सिंह सिकरवार (गुजरात)की लेखनी स्त्री की समुचित वेदना को स्वर देती जान पड़ रही है। स्त्री उसका संघर्ष,उसकी घुटन उसकी तड़प और…

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हार न मानो तुम

अनिल कसेर ‘उजाला’  राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) ************************************************************************* यार कठिन डगर है, चलना तुझे निडर है। हार न मानो तुम, जीत हमसफ़र है। झूठ की नगरी में, सच्चाई ही बेहतर है। हमें काहे…

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हर चाल उसके हाथ में

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** कुदरत की शक्ति को देख आज, सारी मानव जाति भयभीत है। कुदरत को हमने क्या-क्या दिया है, और आधुनिक सुविधाओं के लिए कुदरत से हमने, क्या-क्या…

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शारदे विनय

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** करते हैं शारदे तुमको नमन, आ गए हैं तेरे दर पे रे हम। तुम्हारी इबादत है जीवन हमारा, कलम मेरी देखे रस्ता तुम्हारा... जो…

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दिल सोचता बहुत है

कृष्ण कुमार कश्यप गरियाबंद (छत्तीसगढ़) ******************************************************************* आजकल न जाने क्यूँ दिल सोचता बहुत है, सच से वाकिफ है,यहाँ-वहाँ खोजता बहुत है। थक जाएगा रस्ते पर ही आहिस्ता क़दम बढ़ा, खरगोश…

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जीवन संजीवनी,मित्र है पुस्तकें

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* विश्व पुस्तक (२३ अप्रैल)दिवस विशेष................ दुनियाभर में 'विश्व पुस्तक दिवस' २३ अप्रैल को मनाया जाता है क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार विलियम शेक्सपियर, व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल…

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सपनों में भी,दिखने लगे हैं

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** मुझे मजा आता है, तेरे चेहरे को देखना। दिल खिलता जाता है, तुम्हें मुस्कराते देख कर। पता नहीं ये क्या है, पर धड़कनें बढ़ा देता है।…

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मौसम को बदलने दो

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ पैरोडी (श्रृंगार रस).................. तुम्हें शब्दों में सजा लूँगी- तुम्हें शब्दों में सजा लूँगी। मौसम को बदलने दो- मौसम को बदलने दो...। चलेंगी जब…

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आदमी का कर्ज

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** हर आदमी,आदमी का कर्जदार है, भाई बहन का,बेटा मात-पिता का निभाता हर फर्ज है, इसी का नाम तो कर्ज है। कोई फर्ज का…

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अमृतवाणी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवन नित अक्षर प्रथम,चतुर्वेद आलोक। शब्द अर्थ अभिव्यंजना,मिले कीर्ति हर शोक॥ नभ प्रभात अरुणिम किरण,नव जीवन संचार। दैनन्दिन जीवन पथी,चले कर्म आचार॥ उलझन…

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