सृष्टि है नारी 

रामनाथ साहू ‘ननकी’  मुरलीडीह(छत्तीसगढ) ************************************************************* नारी नहीं तो कुछ नहीं,          नारी नरों की खान है। नारी हँसे तो जग हँसे,          आँसू झरे तो वीरान है॥ ये सृष्टि है शुभ वृष्टि है,       जीवन तृषा की तृप्ति  है। उर में अँधेरा है बहुत,       … Read more

नारी

देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार)  ************************************************************* नारी नर की जननी है, और धरा की प्रेम प्रतीक। पल्लवित कण-कण इससे, हर पग जग लेता है सीख। मूल में ममता मानवता की, आँचल में स्नेह की धारा है संस्कृति की अविचल गाथा, और संबल दीप सहारा है। धैर्य धरा प्रतिबिंबित होता, मुस्कान मनोवांछित फल पाए जब नारी … Read more

होली के सात रंग

विश्वम्भर पाण्डेय  ‘व्यग्र पाण्डे’ गंगापुर सिटी(राजस्थान) ******************************************************************************** होली का नाम लेकर उसने छुआ मुझे, स्पर्श में पर उसके होली कोसों दूर थी। वो मुस्करा के रंग लगाकर चला गया, रंग ऐसा चढ़ा मुझ पर उतरता ही नहीं। रगड़-रगड़ के कितने साबुन घिस दिये, होली के रंग कैसे हैं कि उतरते ही नहीं। मैं ढूंढ नहीं … Read more

नजरों का मिलना

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ जबसे मिली है,तुमसे नजरें, तब से न जाने,क्या हो गया। अब तो आँखें भी,शर्माने लगी। किसी और से,नजरें मिलाने को॥ तेरे इंतज़ार में,एक उमर हो गई, रात रुक सी गई, और सहर हो गई। पता नहीं अब,कब मुलाकात होगी, नज़रों की नजरों से,कब बात होगी॥ तेरी बेरुखी का अब,हम गिला क्या … Read more

परीक्षा

हेमलता पालीवाल ‘हेमा’ उदयपुर (राजस्थान ) *************************************************** यह जीवन भी एक परीक्षा है, हर रोज होती यहाँ परीक्षा है। इस दुनिया को रोशन करने में, सूरज की होती नित्य परीक्षा है। पेट भरने के लिए तपना पड़ता है, भूखे मजदूर को देनी परीक्षा है। समन्दर में लहरों से लड़ना पड़ता है, साहिल पर आने की … Read more

अभिनंदन

केवरा यदु ‘मीरा’  राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मेरे देश का वीर सिपाही, मेरे माथे का चंदन। ‘अभिनंदन’ का अभिनंदन, है शत-शत बार नमन। आने से महका गुलशन, झूम उठा गगन। अभिनंदन का है अभिनंदन, शत-शत बार नमन। है भारत का शेर, दहाड़ कर आया है। जुल्मों सितम के आगे, नहीं शीश झुकाया है। धन्य-धन्य हे वीर कहे, … Read more

बचपन

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** बचपन तो बचपन ही था, बचपन को जाना था कब। जब रखा कदम जवानी में, बचपन को समझा है अब॥ बचपन को समझा है अब, बचपन तो बचपन ही…॥ थे खाते-पीते मौज मनाते, हम कितने रहते थे मस्त। खेलते रहते नहीं रुकते थे, हो जाते थे चाहे पस्त॥ हो जाते … Read more

पिता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते। कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी करता। नहीं बातें दिवाकर की, पिता भी कम नहीं तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप से छाया। नहीं आकाश की बातें,पिताजी में यहीं माया। … Read more

धीरे-धीरे ही सही..

शिवम द्विवेदी ‘शिवाय’  इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये, करके कुछ पाना अगर हो,कुछ न कुछ करते तो रहिये। हार न मनो तुम गम से,करो सामना दुश्मनों से, खुश अगर हैं ज़िंदगी से,कम-से-कम हँसते तो रहिये। धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये… दुनियादारी के समर में खूब दौड़ा कीजिये, सिर … Read more

बड़े दम का ‘पट्ठा’

सुनील चौरे ‘उपमन्यु’  खंडवा(मध्यप्रदेश) ************************************************ ‘पट्ठा’ याने प्रत्येक काम में दक्ष, जी हाँ,जो हास-परिहास,चतुराई से अपना काम निकलवा ले या फिर अपना काम करवा ले,मेरे ख्याल से उसी का नाम पट्ठा होता है। मुझे याद है,बामन्दा जी दामनदा जी की तारीफ़ कर रहे थे। कह रहे थे-“सभी दूर प्रसिद्ध हो चुका है मेरा पट्ठा।” यानि … Read more