भावों का समन्दर
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** कोरे कागज पर अपनी,भावनाओं को लिख डालिएबिखरे हुए जज्बातों को,एक लफ्ज़ में कह डालिए। बड़ा गहरा होता है,भावों का समन्दरदिल के अरमानों को,आँखों से बह जाने दीजिए।…