फंसना न इनके दांव में
शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ कोयल की कुहू-कुहू कभी कौए की कांव-कांव में। पथ भटके हुओं की मंजिल न किसी गाँव में। दर-दर ठोकरें खायी,हुए पसीने से तर-बतर, थोड़ा ठहरो सुस्ता लो बैठ किसी पीपल की छाँव में। जब पूर्व निश्चित हो जाये जाने का स्थल, तभी रखना पाँव पार करने को किसी नाव में। … Read more