हालात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** प्रभात,चौवीस वर्ष का गोरा-चिट्टा, नौजवान। सर्वगुण सम्पन्न,खेलकूद, पढाई-लिखाई,गीत-संगीत,जैसी हर कला में दक्ष। अपने कोमल,शीतल,मन से हर किसी का लुभावना। हर किसी से घुल-मिल जाता,और…

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वक्त का चमत्कार

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** वायु की तरह ही वक्त के भी कोई सिरे-किनारे या छोर नहीं होते। युगों-युगों से अब तक इस पल तक वक्त की गति…

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हालातों की धुरी पे सामाजिक संबंध

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. सामाजिक संबंधों में दूरी,हालात ही बनाते हैं, संबंधों की ही धुरी पर ये सृष्टि को चलाते हैं। सामाजिक…

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सबकी विनती सुन लो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ऐ भारतवर्ष के लोगों,सब-सबकी विनती सुन लो, जब तक न मिटे ये 'कोरोना',अपने ही घर में रह लो। यमदूत बना ये दानव,जन-मन की…

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मानव और ‘कोरोना’

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** क्यूँँ मानव का संहार हुआ,दानव-सा अत्याचार किया, 'कोरोना' विषाणु ने आकर,क्यूँ मानव पर ही वार किया। क्यूँ मानव... सब चौक-चौराहे सूने हैं,शहरो गाँवों…

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प्रकृति संरचना में मानव का महत्व

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. 'प्रकृति संरचना में मानव का महत्व' है,पर मानव से पहले प्रकृति की चर्चा-भारतीय पुराणों के अनुसार किवदंतियां हैं…

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फ़िजूल जरुरतें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जमीन होती गगन से रौशन, गगन से किरणों के गुन्चे आते। मगर जमीं पे रहने वाले, नहीं इन्हें हैं यहां सजाते। जमीन होती...…

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अतुलनीय भारतीय:विपदाओं का विकल्प तलाशें भारतवासी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** वक्त गुजरता रहता है। वक्त के साथ आबो-हवा माहौल,या कहें कि हालात बदलते रहते हैं। हालांकि,सुख-सुविधा,साधन,सम्पन्नता के प्रति आकर्षण मानवीय स्वभाव के लक्षण…

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अनजानी ये रहगुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जिन्दगी ये मिली जिस्म भी मिला है सुहाना, बन जाए कब मिट्टी,इसका न ठिकाना। बनना ही है जब मिट्टी तो फिर क्यों न,…

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मेरे देश की मिट्टी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** भारतवर्ष की मिट्टी में है सौंधी प्यारी-सी खुशबू, मेरे देश की मिट्टी... इसके वीर शहीदों के बलिदानी लहू की खुशबू, मेरे देश की…

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